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जंगल की बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी को बढ़ावा दे रही हैं अवैध आरा मशीनें



रमेश कुमार मिश्रा 

गोंडा :धरती पर हरियाली लाने के लिए एक तरफ सरकार हर वर्ष वृहद बृक्षारोपण अभियान चला कर लाखों करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाती है। इस अभियान में हर जिम्मेदार अधिकारी, जन प्रतिनिधि, प्रबुद्ध वर्ग से लेकर निम्न वर्ग के लोग शामिल होकर इसे महा अभियान बनाते है। फ़ोटो सेंशन होता है, जिसे शोशल मिडिया और समचार पत्रों में प्रकाशित करके घर घर हरियाली की प्रेरणा दी जाती है। लेकिन ना तो इन छोटे पौधों को बचाने की चिंता किसी को है, और ना ही जंगल के हरे भरे पेड़ो को सहेजने में जिला प्रशासन अथवा वन विभाग रूचि लेता दिखाई दे देता है।गोंडा अथवा बलरामपुर जिले की सीमा पर स्थित कुआनों रेंज के भैंसहवा जंगल में बेशकीमती पेड़ों की तस्करी को आसान बनाने वाली अवैध आरा मशीनें आस पास के गाँवों में धड़ल्ले से चलती हैं।जिन पर जंगल विभाग के अधिकारी इतने मेहरबान हैं की एक ही गाँव में दो दो आरा मशीने खुले आम चलाई जाती है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं धानेपुर थाना क्षेत्र के धनोहरी गाँव की जो भैंसहवा जंगल से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहां दो आरा मशीनें बेहिचक चल रही है। आरा मशीन के संचालक मुनव्वर अली से जब लाइसेंस के बारे में पूछा गया तो बगल छाँकने लगे और विभाग से सेटिंग गेटिंग होने की बात कही और बताया की काफी दिनों से मशीन बन्द पड़ी थी अभी हाल ही में चालू किया है। मुनव्वर ने बताया की इस गाँव में एक और मशीन चलती है। कुआनों रेंज के भैंसहवा जंगल के नजदीक बिना लाइसेंस के चल रही इन आरा मशीनों के सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए क्षेत्रीय वन अधिकारी वकाउल्लाह खान से बात चीत करने पर उन्होंने बताया की इन आरा मशीनों की जानकारी ही नही है। सूचना मिली है तो मौके पर जा कर जांच पड़ताल की जायेगी। यदि बिना लाइसेंस की आरा मशीने चलती पाई गयीं तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जायेगी। ये हाल जंगल विभाग की सम्पत्ति की सुरक्षा में तैनात रेंजर की है जिन्हें ना तो अवैध कटानों की जानकारी रहती है और ना ही हरे पेड़ों को चीरती इन अवैध आरा मशीनों की कोई खबर है।

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