अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर मे 25 दिसंबर को एमएलके पीजी कॉलेज सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ संयोजक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय ने दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया । बुंदेलखंड ललितपुर की ऋचा पुरोहित ने अपनी रचना पढ़ी कि- राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है, राजमहल को छोड़के वन में सोना पड़ता है, तब होते हैं राम के दर्शन पहले ये लोगों, पापी मन को गंगाजल से धोना पड़ता है।
डॉ ओमप्रकाश मिश्र ने पढ़ा कि- गर जागे नहीं सोते रहे सोते रहेंगे,दुश्वारियों का बोझ सदा ढोते रहेंगें। कन्हैया लाल माथुर ने रचना पढ़ी कि- दिन में ही लगा कि जैसे रात हो गई- बादल घिरे बिजली गिरी बरसात हो गई। राज उतरौलवी ने पढ़ा कि- उसकी यादों से मेरी शाम सुहानी महके- जैसे आंगन में कोई रात की रानी महके। विनोद सिंह कलहंस ने पढ़ा कि- इकबार तो देखो जरा तुम दिल में उतर के- दरवाजे खुले रहते हैं आज भी घर के । सुधांशु सौरभ ने कहा कि- दिन का मस्त मौसम तो रातें भी सुहानी हैं- ऐसे ये मेरे पहलू में कुछ यादें पुरानी हैं। सह संयोजक प्रो0 श्री प्रकाश मिश्र ने सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ आशीष लाल, डॉ आनंद वाजपेयी व डॉ अनिल पाण्डेय सहित कई लोग मौजूद रहे।
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