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इंसानों नहीं इन दो बेजुबानो की रचाई गई शादी, लिए सात फेरे,सैकड़ो बाराती बन साक्षी, पूरा मामला जानकर कहेंगे वाह क्या बात है



फराज अंसारी 

शादियां लगभग सभी की होती हैं, फेरे होते हैं, रस्में में निभाई जाती हैं, जो आम बात है, लेकिन यहां एक ऐसी शादी रचाई गई है, जो पूरे समाज के लिए चर्चा का विषय बन गई है। शादी में पूरे रीति रिवाज के साथ सारी रस्में अदा की गई जिसके घर आई और बाराती साक्षी बने ।

उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद में एक विवाह लोगों के बीच चर्चाओं का विषय बन गया है। इस शादी में नंदिनी और नंदी ने विवाह कर शादी की रश्में निभाई हैं। जिसमें पंडित जी ने भी धार्मिक श्लोक मंत्रोचार कर पूरे विधि विधान से शादी संपन्न कराई है। इस शादी में घरती और बाराती मिलकर सैकड़ो लोग साक्षी बने हैं। दरअसल यह शादी किसी लड़का लड़की की नहीं बल्कि गौ पुत्री बछिया और बछड़ा की निभाई गई है। इस शादी के चर्चे अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार गौ संरक्षण की अलख जगाते हुए बहराइच के पयागपुर थाना अंतर्गत निहनिया कुट्टी गांव में श्रावस्ती जनपद के इकौना थाना अंतर्गत रामपुर कटेल गांव से नंदी बछड़े की बारात बारातियों संग पहुंची। जिसका पूरे रीति रिवाज के साथ बछिया पक्ष नंदिनी के लोगों ने जोरदार स्वागत किया। बता दें कि यह रस्में जब किसी लड़का लड़की का विवाह होता है, तभी निभाई जाती हैं लेकिन यहां बेजुबान बछिया नंदिनी और बेजुबान बछड़ा नंदी के विवाह में सारी रस्में निभाई जा रही थी। आयोजित विवाह में दूल्हे के रूप में बछड़े के सिर पर पगड़ी बांधकर फूलों के साथ रूपयों की माला पहना कर शादी रचाने के लिए लाया गया। दूल्हे के साथ-साथ बाराती भी डीजे के धुनों पर थिरकते हुए द्वार पूजा के लिए पहुंचे, जहां वधू पक्ष नंदिनी के लोगों में बारातियों का भव्य स्वागत किया। द्वार पूजा पर पहुंचे बारातियों को माला पहना कर गर्म जोशी से स्वागत हुआ।



पूरे रीति रिवाज के अनुसार द्वारपूजन के उपरांत सात फेरों का संस्कार संपन्न कराया गया। यहां बारातियों ने जलपान आदि के उपरांत भोजन भी ग्रहण किया। डीजे के धुनों पर बाराती थिरकते नजर आए। मौजूद पंडित जी ने हिंदू रीति रिवाज से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ द्वारा पूजन संपन्न कराया।

अदा हुई वरिच्छा और तिलक की रस्में 

 मिली जानकारी के अनुसार विवाह से पूर्व हिंदू रीति रिवाज के अनुसार नदी और नंदिनी का वरिच्छा और तिलक संस्कार 12 दिसंबर को संपन्न कराया जा चुका है। तिलक संस्कार के उपरांत मंगलवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत श्रावस्ती जनपद के रामपुर कटेल में दूल्हे की तैयारी की सारी रस्में निभाई गई। यहां दूल्हे को नहलाने व सजाने के दौरान बैंड बाजा और डीजे आदि की सारी व्यवस्थाएं कराई गई थी।

बछड़ा और बछिया के शादी का उद्देश्य

श्रावस्ती जनपद के विभूति प्रसाद ने बताया कि गौ संरक्षण के प्रति लोगों के अंदर जागरूकता लाने के उद्देश्य से इस अनोखी शादी का आयोजन किया गया था। विभूत प्रसाद का मानना है कि इस दौर में लोग गौ सेवा की बात तो करते हैं, लेकिन धरातल पर गौ वंशों के लिए कुछ भी नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि गौ वंशों की सेवा हमारे पूर्वजों द्वारा भी की जाती रही है, गौवंशों के प्रति समाप्त हो रहे सेवा के भावना को इस अनोखी शादी से बल मिलेगा, किसी विश्वास के तहत इस शादी का आयोजन किया गया था।


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