लगातार कई वर्षों से एक ही जनपद में जमे सब इंस्पेक्टर की कार्य शैली पर खड़ा हो रहा सवालिया निशान लग रहा पुलिस की साख पर बट्टा
पं बीके तिवारी
गोंडा।जनपद गोंडा के थाना खरगूपुर अंतर्गत दहेज प्रताड़ना सहित पति द्वारा तलाक देकर स्त्री धन और नगद छीनने का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक को प्रार्थन पत्र दिया था। जिस पर खरगूपुर पुलिस ने पीड़िता के ससुराली पक्ष से सात लोगों को नामित करते हुए अपराध संख्या 299 के तहत धारा 498 ए 323,504,506 में एफआईआर दर्ज किया था। और नगदी व स्त्री धन छीनने की बात तहरीर में लिखी होने के बावजूद विवेचना में नाम बढ़ाने की बात कह कर सम्बन्धित धारा धारा को छिपा लिया था। लेकिन विवेचना लगातार 2 महीने तक चलती रही और पीड़ित पक्ष का कहना है कि ना तो मुकदमें में धारा बढ़ाई गई और ना ही मेरी बातों को सुना गया। बल्कि धारा बढ़ाने व मुकदमा को मजबूती के साथ कोर्ट पर पेश करने के लिए मुझसे विवेचक ने₹40000 की एक मुस्त मांग की। लेकिन इतना रुपए न होने की वजह से मैं विवेचन को ₹10000 दिया भी फिर भी विवेचक ने मुकदमे में कोई धारा नहीं बढ़ाई लगातर 40 हजार मोटी रकम की मांग करते रहे।जब मेरे द्वारा मांगे गए पैसे की पूर्ति नहीं की गई।तो दरोगा जी ने आरोपितों से पैसे की बात साझा करते हुए मोटी रकम ऐंठ कर अपने दायित्वो की इति श्री कर ली। मामले में पीड़ित के अधिवक्ता समेत पीड़ित ने सोशल मीडिया के माध्यम से जब पुलिस अधीक्षक गोंडा को सारी वाक्या से अवगत कराया तो हड़कंप मच गया।पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पुलिस क्षेत्राधिकार नगर विनय कुमार सिंह को जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जांच की भनक लगते ही विवेचक चौकी प्रभारी जानकी नगर थाना खरगूपुर ने रिश्वत में ली गई₹10000 की रकम पीड़ित को वापस करवाते हुए बात करने के लिए आमंत्रित करने का प्रयास किया।लेकिन पीड़ित पक्ष ने बताया कि दरोगा जी के करतूत से मेरा जी आजिज आ चुका है इसलिए हमने कोई बात नहीं की।और ना ही दरोगा जी द्वारा दिए गए ₹10000 वापस लिए हैं। पीड़ित पक्ष का कहना है कि रिश्वत की रकम दरोगा ने वापस की है,उसको पुलिस अधीक्षक गोंडा के सामने रखा जाएगा और मामले में जब तक उचित कार्यवाही नहीं होगी।किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं की जाएगी। वन्हीं इस संबंध में जब आरोपित दरोगा थाना खरगूपुर के चौकी प्रभारी जानकी नगर दिवाकर मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता और पीड़ित पक्ष मिलकर मेरे ऊपर धारा बढ़ाने का दबाव बना रहे थे। तथा धमकी दे रहे थे,जब मैंने धारा नहीं बढाई तो यह लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों के सामने मेरे ऊपर फर्जी आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। जो पूर्णतया भ्रामक है।वही बताते चलें कि सब इंस्पेक्टर दिवाकर मिश्रा पिछले कई वर्षों से एक ही जनपद में तैनात हैं।तथा थानों को बदल बदल कर की जा रही पोस्टिंग से गोंडा से काफ़ी वाकिफ हो चुके हैं और इनका गैर जनपद ट्रांसफर क्यों नहीं हो रहा है। यह भी एक अपने आप में बहुत बड़ा प्रश्न है। तथा जब पीड़ित पक्ष ने तहरीर देकर धन छीनने और रुपए निकालने की बात लिखी थी तो यह एफ आई आर लिखते समय सम्बन्धित धारा क्यों नहीं लिखी गई यन्हा भी थाने सहित चौकी प्रभारी पर सवालिया निशान लग रहा है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ