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श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ के वाद दायरे होने पर जताई गयी खुशी

 


तहसील परिसर में अधिवक्ताओं ने समर्थन में की नारेबाजी, हुआ सम्मान

अभय शुक्ला 

लालगंज प्रतापगढ़। श्री रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने को लेकर वाद दायर होने पर मंगलवार को तहसील परिसर में अधिवक्ताओं ने खुशी जताई है। अधिवक्ताओं ने श्री रामचरित मानस एवं श्रीमद्भागवतगीता तथा वाल्मीकि रामायण के मान सम्मान के लिए संघर्ष में एक जुटता का भी संकल्प जताया। वहीं साथी अधिवक्ताओं ने वाद दायर करने वाले आल इंडिया रूरल बार एशोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल की हौसला आफजाई करते हुए पार्क में माल्यार्पण कर उन्हे सम्मानित भी किया। अधिवक्ताओं ने याचिकाकर्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल के सनातन संस्कृति की संरक्षा में किए गए इस विधिक प्रयास की प्रशंसा भी की। कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष लाल विनोद प्रताप सिंह व संचालन पूर्व उपाध्यक्ष विपिन शुक्ल ने किया। सम्मान कार्यक्रम का संयोजन पूर्व उपाध्यक्ष संतोष पांडेय द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान परिसर में एकत्रित अधिवक्ताओं ने श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने को लेकर समर्थन में नारेबाजी भी की। पूर्व अध्यक्ष राववीरेन्द्र सिंह ने कहा कि कतिपय कुंठित विचारधारा के लोग सनातन धर्म पर हमलावार होते हुए हिन्दू देवी देवताओं को लेकर पीडा जनक टिप्पणी कर रहे हैं। उन्होने सरकार से ऐसी बयानबाजी करने वाले लोगों को कानूनी कटघरे में खड़ा किए जाने की मांग की। इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष विकास मिश्रा, पूर्व उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह, संजीव तिवारी, प्रमोद सिंह, राहुल मिश्रा, दीपेन्द्र तिवारी, सुशील शुक्ला, विनय शुक्ला, टपन पांडेय, ललित गौड़, प्रभात श्रीवास्तव, नामवर सिंह आदि अधिवक्ता रहे।

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