ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज की प्रसिद्ध बड़ी श्रीराम लीला महोत्सव की नगर में धूम है। इस वर्ष की लीला का मंचन नए व आधुनिक ढंग से मंचित की जा रही है। श्रीराम लीला मंचन में मारीच दरबार व ताड़का बध के लीला का मंचन हुआ। सर्वप्रथम ताड़का का जीवन दिग्दर्शन किया गया। जिसमें उसके पिता यशराज सुख थे उसका विवाह दैत्यराज सुन्द से संपन्न कराते हैं। विवाह के बाद सुंद अगस्त ऋषि के आश्रम पर जाकर उन्हें अपने बल का प्रभाव दिखाता है। वह आश्रम छोड़कर जाने को कहता है अगस्त ऋषि उसे भस्म कर देते हैं। पति मृत्यु का बदला लेने ताड़का अपने पुत्र मारीच के साथ आक्रमण करती है तो ऋषि उन दोनों को राक्षस होने का श्राप देते हैं। अंत में श्रीराम द्वारा उसके उद्धार का भी कथन करते हैं। ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ को मारीच सुबाहु की सेना विध्वंस करती है जिससे व्यथित होकर वह अयोध्या में राजा दशरथ के पास उनके पुत्र श्रीराम, लक्ष्मण को ले जाने की याचना करने आते हैं। राजा दशरथ दुखी हो जाते हैं याचना अस्वीकार करते हैं अंत में गुरु वशिष्ट के समझाने पर राम लखन को दे देते हैं। विश्वामित्र प्रसन्न हो जाते हैं कि अब इन्हीं के द्वारा मेरे यज्ञ की रक्षा हो जाएगी। भगवान श्रीराम माता कौशल्या सहित सभी माताओं से विदा होकर चल देते हैं। ताड़क वन पहुंचकर ताड़का को श्रीराम ललकारते हैं। घनघोर युद्ध होता है जिसमें ताड़का मारी जाती है। लीला का निर्देशन श्री भगवान शाह एवं संचालन शिवनंदन वैश्य वैश्य व कामता नाथ वर्मा ने किया। सुकेतु का पाठ अतुल पटवा, सूंद अनुज जायसवाल, बजरंग कन्हैयालाल वर्मा, अगस्त तनु पंडित, विश्वामित्र गिरजा शंकर महंत, दशरथ कौशल कैलाश सोनी, ताड़का का अभिनय दिल खुश वैश्य ने किया। श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष मोहित पांडेय, सोनू पुरवार, अरमान, संतोष पाण्डेय, आयुष सोनी, विशाल कौशल, पीयूष मिश्रा, पंडित रामचरित्र महाराज, सागर सोनी, विश्वनाथ शाह, अंकित जायसवाल आदि लोग मौजूद थे।
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