पं श्याम त्रिपाठी/ बनारसी मौर्या
नवाबगंज (गोंडा) क्षेत्र शिवदयालगंज बाजार में चल रही परंपरागत 12 दिवसीय श्री रामलीला महोत्सव के दूसरे दिन रावण अत्याचार एवं राम जन्म की मनमोहक लीला का मंचन किया गया । लीला का शुभारंभ ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भव्य झांकी के पूजन-अर्चन से किया गया । भगवान श्रीराम के जन्म पर अवसर पर शिवदयालगंज बाजार में घरों में दीप जलाकर मिष्ठान वितरण कर खुशियां मनाई गईं।मंचन रावण के अत्याचार से शुरू हुआ । जिसमें रावण अपने बल एवं पराक्रम के मध्य में चूर होकर अनाचार, अत्याचार एवं पापाचार मचा कर चारों ओर हाहाकार मचा देता है । साधु संतों को मारता है । यज्ञ को भंग कर देता है । पूजा - पाठ, जप - तप सब नष्ट कर देता है । जिससे परेशान होकर साधु संत, ऋषिगण एवं देवता गण ब्रह्मा और भोलेनाथ से रावण की अत्याचार से मुक्ति हेतु प्रार्थना करते है । उनके रावण के आगे असमर्थता जताने पर सभी देवतागण ब्रह्म और भगवान भोलेनाथ के साथ मिलकर भगवान विष्णु का आवाहन करते हैं । उसी क्षण आकाशवाणी से अयोध्या में महाराजा दशरथ के यहां भगवान के जन्म लेने की जानकारी मिलती है । इधर अयोध्या में राजा दशरथ अपने मंत्रियों के साथ में बैठकर अयोध्या के उत्तराधिकारी न होने के कारण अत्यंत चिंतित अवस्था में मंत्रणा करते हैं । कुल गुरु वशिष्ठ ने मनोरमा के तट पर पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाने की राजा दशरथ को सलाह देते हैं । राजा दशरथ श्रृंगी ऋषि के निर्देशन में मनोरमा के तट पर पुत्रेष्ठी यज्ञ आयोजित करवाते हैं । जिसे प्राप्त प्रसाद को तीनों रानियों में वितरित करते हैं । उस प्रसाद के प्रताप से दशरथ को चार पुत्र प्राप्त होते हैं । गुरु वशिष्ट चारों पुत्रों का नामकरण करते हैं । कुछ समय उपरांत मुनि विश्वामित्र महाराजा दशरथ से अपने यज्ञ , पूजा, जप - तप एवं ऋषियों मुनियों के रक्षा सुरक्षा हेतु राम और लक्ष्मण को मांग लेते हैं । इस प्रकार राम और लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र के साथ वन में जाकर उनके पूजा ,यज्ञ की रक्षा सुरक्षा करते हैं ।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ