बनारसी मौर्या/ अविनाश चंद्र श्रीवास्तव
नवाबगंज गोंडा। कटरा शिवदयालगंज बाजार में चल रही 12 दिवसीय श्री रामलीला महोत्सव के तीसरे दिन पुष्प वाटिका, धनुष यज्ञ एवं परशुराम लक्ष्मण संवाद की पावन लीला का मंचन किया गया । मंचन का शुभारंभ श्री राम लक्ष्मण एवं मुनि विश्वामित्र के दिव्या झांकी की पूजन आरती से हुई ।
मुख्य अतिथि मानस मर्मज्ञ रामकथा के सरस प्रवक्ता आचार्य डॉ. भोलानाथ त्रिपाठी ने राम लक्ष्मण को मुकुट समर्पित कर आरती करके शुभारंभ किया । लीला का शुभारंभ राम लक्ष्मण के द्वारा मुनि विश्वामित्र के यज्ञ संपूर्ण करवाने के साथ साथ राजा जनक के यहां स्वयंवर में जाते समय रास्ते में अहिल्या का उद्धार किया । तथा जनक के दरबार में पहुंचे जहां तमाम राजाओं के धनुष उठाने में असमर्थ होने पर महाराजा जनक ने व्यंग कहा जिस पर लक्ष्मण को सहन नहीं हुआ । और उन्होंने तीखे स्वर में जवाब दिया । जिस पर मुनि विश्वामित्र का आदेश पाकर प्रभु श्री राम शिव धनुष की परदेस प्रदक्षिण करके उस पर प्रत्यंचा चढ़ाया । और धनुष भंग किया । धनुष भंग के आवाज को सुनकर तपस्या मैं लिन परशुराम जी का जिनका ध्यान भंग हो गया । और क्रोधित होकर वह सीधे जनक के दरबार में पहुंचते हैं ।जहां पर तमाम राजाओं में छेड़छाड़ एवं कोलाहल मचा हुआ था । जिसका परशुराम जी ने राजा जनक से कारण पूछा और धनुष भंग की बात राजा जनक के द्वारा बताया गया । जिसे सुन परशुराम क्रोधित हुए और क्रोध में उन्होंने धनुष भंग करने वाले वीर को ललकारा । इस पर परशुराम और लक्ष्मण जी में तीखी नोंक झोंक हुई जिसे सुनने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ एकत्रित रही । और शब्दों के व्यंग को सुनकर तालियां बजती रहे । मुख्य किरदार निभाने वालों में जनक त्रेता नाथ गुप्ता, राम शुभम गुप्ता, लक्ष्मण आकाश गुप्ता, परशुराम रजनीश कमलापुरी , विश्वामित्र बसंत लाल गुप्ता, रावण अनूप कुमार, वाडा महेंद्र कसौधन, हरदंग बहादुर रंजीत कसौधन, बंदीजन राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, अन्य राजाओं में गौरी शंकर गुप्ता, गणेश चंद्र गुप्ता, मनोज गुप्ता , विकास गुप्ता, सहित दर्जनों कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया । कार्यक्रम का संचालन विनोद कुमार गुप्ता एवं निर्देशन कपिलनाथ गुप्ता ने किया ।
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