डेस्क: गांव के पूर्व प्रधान पुत्र वर्तमान प्रधान के होते हुए भी गांव के खेवनहार बने रहे। ग्राम सभा के कार्यों में हस्तक्षेप करते हुए ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और रोजगार सेवक के मिली भगत से लाखों रुपए का बंदर बांट कर लिया। इस बात की भनक जब ग्राम प्रधान को लगी तब उनके पांव तले जमीन खिसक गई। उक्त आशय की शिकायत लेकर ग्राम प्रधान ने डीएम , सीडीओ और पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई लेकिन वहां से कोई सुनवाई नहीं हुई। तब ग्राम प्रधान ने न्यायालय की शरण ली, जहां न्यायालय ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद अंतर्गत परसुरमपुर थाना क्षेत्र के स्थानीय विकासखंड के ग्राम पंचायत रग्धपुर प्रधान ने गांव के पूर्व प्रधान ठाकुर प्रसाद सिंह के पुत्र संजय सिंह,पंचायत विकास अधिकारी,रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक पर आरोप लगाते हुए वाद दायर किया कि उसके प्रधान निर्वाचित होने से पूर्व संजय सिंह के परिवार में उनके पिता कई बार ग्राम पंचायत रग्धपुर के ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए थे। अपने पिता के ग्राम प्रधान कार्यकाल में संजय सिंह ही ग्राम प्रधान से सम्बन्धित समस्त कार्य देखते थे। उनके पिता सम्बन्धित कागजातों पर बतौर ग्राम प्रधान मात्र अपना हस्ताक्षर ही बनाते थे। आरोप है कि संजय सिंह जाल साज किस्म का व्यक्ति है लोगों के साथ धोखाधडी करके सरकारी धन का गवन करना ही उसका मुख्य पेशा है ।
प्रधानी के बने खेवनहार
आरोप है कि वर्ष 2021 में ग्राम पंचायत रग्धपुर के प्रधान का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ जिसमें पीड़ित प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ा। जिसमें मतदाताओं के साथ आरोपी संजय सिंह ने भी मदद किया। जिसमें वह ग्राम पंचायत रग्धपुर का प्रधान निर्वाचित हुआ । आरोप है कि आरोपी अपने पिता के प्रधानी के कार्यकाल में विकास खण्ड कार्यालय पर आता जाता था। इसीलिए उसके प्रधानी के कार्यकाल में भी स्वयं कुछ कार्य बिना जानकारी व सहमति के ही करने लगा।
कहां कहां किया घोटाला
आरोपी ने ग्राम पंचायत विकास अधिकारी राम सहाय व तकनीकी सहायक अजीत कुमार सिंह तथा रोजगार सेवक श्रीमती निशा सिंह को अपने साजिश में लेकर ग्राम पंचायत रग्धूपुर में आंगनबाड़ी केन्द्र का मरम्मत कार्य शुरू करा दिया। आंगनबाड़ी केन्द्र के मरम्मत कार्य में निम्न श्रेणी की गुणवत्ता वाली टाइल्स का उपयोग किया गया। रगाई पुताई भी घटिया किस्म का कराया गया।आरोप है कि मनरेगा योजना के अन्तर्गत पक्की सड़क से मुन्ना मिश्र के घर तक मिट्टी कार्य वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्वीकृत कराकर 540 मी लम्बाई में कार्य दर्शा कर उसका एमवी कराकर 2,29,296/- रुपया का भुगतान करा लिया गया। जबकि उक्त सड़क पर मात्र 200 मीटर लम्बाई में ही मिट्टी का कार्य हुआ था।
शिकायत के बाद हुई जांच में खुली पोल
आरोप है कि ग्राम पंचायत में दोनों परियोजनाओं पर जब कार्य होना शुरू हो गया और प्रधान को परियोजनाओं के बारे में कोई जानकारी ही नहीं हो पायी कि इन परियोजनाओं की स्वीकृति कब और किसके द्वारा लिया गया है। तब प्रधान ने डीएम, सीडीओ सहित उच्च अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया । तो प्रकरण में जिला विकास अधिकारी , खण्ड विकास अधिकारी परसरामपुर की संयुक्त टीम से जांच करायी गयी। जिसमें यह पाया गया कि ग्राम पंचायत रग्घूपुर में ऑगन बाड़ी के मरम्मत कार्य में 22417 रूपये तथा मनरेगा योजना के अन्तर्गत कराये गये मिट्टी कार्य जो कि पक्की सड़क से मुन्ना मिश्रा के घर तक का था में 55,202 रूपये का सम्पूर्ण 77619 रूपये का गबन किया गया। संयुक्त टीम द्वारा की जा रही प्रकरण की जाँच में यह भी पता चला कि उक्त दोनों परियोजनाओं से सम्बन्धित रूपये का भुगतान भी हो गया है।
प्रधान के डिजिटल सिगनेचर का हुआ उपयोग
भुक्तान के बाबत खास बात यह पता चला कि वर्ष 2021 के 9 दिसंबर को ही डिजिटल सिगनेचर मिला तो उससे पूर्व डिजिटल सिगनेचर का उपयोग कैसे हुआ।जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आरोपियों ने डिजीटल सिगनेचर मिलने से पूर्व ही प्रधान के बगैर जानकारी के ही डिजिटल सिगनेचर का उपयोग करके सरकारी धन का गबन किया है।
मुक़दमा दर्ज
न्यायालय के आदेश पर परशुरामपुर पुलिस ने पूर्व प्रधान के पुत्र, तकनीकी सहायक, ग्राम सचिव, और रोजगार सेवक के खिलाफ धोखाधड़ी,धोखा धड़ी करके नाजायज तरीके से लाभ लेने सहित विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दिया है।
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