आरडीआर पाण्डेय
गोंडा। मनकापुर के रफी नगर कस्बा में चल रहे श्रीमद्भभागवत कथा में शनिवार की शाम को कथा व्यास गौरव शशांक कृष्ण कौशल जी महाराज ने भागवत महापुराण कथा में सती व ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि माता सती को पार्वती, दुर्गा, काली, शेरावाली, शैलपुत्री, पहाड़ा वाली, चामुंडा, तुलजा, अंबिका आदि नाम से जाना जाता है। सती ने अपने पिता दक्ष की इच्छा के विरुद्ध कैलाश निवासी शंकर से विवाह कर लिया। दक्ष इस विवाह से संतुष्ट नहीं थे। इसलिए उन्होंने विराट यज्ञ का आयोजन किया। लेकिन अपने दामाद शिव और पुत्री सती को यज्ञ में निमंत्रण नहीं भेजा। फिर भी सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई।लेकिन दक्ष ने पुत्री के आने पर उपेक्षा का भाव प्रकट किया और शिव के विषय में अपमानजनक बातें कहीं। जिसे सती बर्दास्त नही कर पाई और इस अपमान से कुंठावस सती यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।महाराज जी ने ध्रुव का वर्णन करते हुए कहा कि ध्रुव काफी तपस्वी था। भगवान हरि ध्रुव की तपस्या से प्रसन्न होकर ऐसा वरदान दिया जिससे उसका नाम हमेशा के लिए अमर हो गया।
भागवत कथा के उपरांत कलाकारों द्वारा श्री राम-लक्ष्मण व शिव-पार्वती का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया। शिव-पार्वती के मनमोहक नृत्य को देखकर श्रोता भावविभोर हो गए।इस मौके पर यजमान बनारसी लाल साहू तथा उनकी पत्नी निर्मला देवी,कुल प्रोहित पंडित रंग नाथ त्रिपाठी,चेयरमैन दुर्गेश कुमार उफ बबलू सोनी,संजीव अजमानी,सुधीर जायसवाल,राकेश पांडेय,रमेश चौधरी,अजय जायसवाल,ओमप्रकाश सोनी,त्रिभुवन कुमार गुप्ता,गोलू जैन,बनवारी लाल गुप्ता,गोपी हांडा,संजय मिश्रा,नवनीत गुप्ता आदि लोग मौजूद रहे।
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