बलरामपुर रामलीला में राम बनवास व केवट संवाद का मंचन
जानकारी के अनुसार 19 अक्टूबर की रात श्रीश्री 108 सत्य प्रचारिणी रामलीला समिति के कलाकारों द्वारा राम वनवास, केवट संवाद का मंचन किया गया। कार्यक्रम में माता कैकेयी ने राजा दशरथ से राम को 14 वर्ष वनवास व भरत को राजा बनाने का वरदान मांगा, जिसको सुनकर दशरथ मरणासन्न हो गये। सूचना मिलने पर राम अपने राजसी वस्त्रों को त्याग कर वनवासी वस्त्रों में राजा दशरथ के पास आते है। राजा दशरथ उन्हें रोकते हैं, लेकिन अपने वचनों पर अटल राम, लक्ष्मण, सीता वनवासी वस्त्रो में माता पिता से आज्ञा लेकर वन को जाते है। राम को वनों में जाते देख समस्त प्रजा भी उनके पीछे हो लेती है। और उन्हें रोकती है, हे राम अयोध्या छोड़ कर मत जाओ.... राजा दशरथ के मंत्री सुमंत्र बिना राम लखन के अयोध्या चल पड़ते है और राम वनो की तरफ बढ़ चलें हैं। राम जंगल में प्रवेश करते है, तो उनकी भेंट भील राजा गुह से होती है। इसके बाद गंगा पार करते समय उनकी मुलाकात केवट से होती है। केवट रामजी के चरण धोनें के बाद उन्हें अपनी नाव में बैठाकर गंगा पार करवाता है। गंगा पार करनें के बाद राम केवट को एक अंगूठी देते है, तो केवट बहुत प्रेमपूर्वक स्वीकार करने से मना कर देते हैं। इधर मंत्री सुमंत्र के अयोध्या में पहुंचते ही राजा दशरथ ने सुमंत्र को हृदय से लगा लिया। मानो डूबते हुए आदमी को कुछ सहारा मिल गया हो। मंत्री को स्नेह के साथ पास बैठाकर नेत्रों में जल भरकर राजा पूछने लगे, हे मेरे प्रेमी सखा सुमंत्र ! श्री राम की कुशल कहो । बताओ, श्री राम, लक्ष्मण और जानकी कहाँ हैं? उन्हें लौटा लाए हो कि वे वन को चले गए? यह सुनते ही मंत्री सुमंत्र के नेत्रों में जल भर आया। शोक से व्याकुल होकर राजा फिर पूछने लगे- सीता, राम और लक्ष्मण का संदेसा तो कहो । श्री रामचन्द्रजी के रूप, गुण, शील और स्वभाव को याद कर- करके राजा अपनी पत्नी कौशल्या से भारी हृदय से कहते हैं मैंने उन्हें राजा होने की बात सुनाकर वनवास दे दिया, यह सुनकर भी जिस ;रामद्ध के मन में हर्ष और विषाद नहीं हुआ, ऐसे पुत्र के बिछुड़ने पर भी मेरे प्राण नहीं गए, तब मेरे समान बड़ा पापी कौन होगा ? आखरी समय में राजा दशरथ श्रवण कुमार के मां-बाप की श्राप के अनुसार अपने आंखों की रोशनी खोकर अंधे हो जाते हैं और चार-चार पुत्रों के होने के बावजूद अंतिम समय में पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर दम तोड़ देते हैं। इस तरह का मंचन देख स्थानीय श्रोता भाव विभोर हो गए।
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