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अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षित गर्भ समापन दिवस के अवसर पर प्रेस वार्ता आयोजन



वेद व्यास त्रिपाठी 

 प्रतापगढ़:क्रिया नई दिल्ली के सहयोग से तरुण चेतना सभागार में सुरक्षित गर्भ समापन सेवाओं पर मिडिया के साथ एक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के प्रारंभ में महिला अधिकारों पर कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नसीम अंसारी ने पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से यम. टी. पी. एक्ट पर चर्चा करते हुए बताया कि सुरक्षित गर्भ समापन सेवाओं तक पहुँच एक महिला मानवाधिकार है। क्योंकि पूरी दुनिया में इस पहुँच की कमी के कारण 45% गर्भ समापन असुरक्षित होते हैं. उन्होंने बताया कि मातृ मृत्यु दर में लगभग 13% योगदान असुरक्षित गर्भ समापन से होता है।

पीपीटी के माध्यम से श्री नसीम अंसारी ने बताया कि चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 (एमटीपी० एक्ट) भारत सरकार का एक अधिनियम है जो कुछ विशेष परिस्थितियों में अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने की अनुमति देता है। यह अधिनियम सन् 1971 में बनाया गया था इस कानून के अन्‍तर्गत महिलायें कुछ विशेष परिस्थितियों में सरकारी अस्‍पताल में या सरकार की ओर से अधिकृत किसी से भी चिकित्‍सा केन्‍द्र में अधिकृत व प्रशिक्षित डॉक्‍टर द्वारा गर्भपात करा सकती है। 

इस कानून के आने बाद हाल ही में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी (संशोधन) बिल, 2021 पारित किया गया !  इसके अंतर्गत अगर 20 हफ्ते तक गर्भ समापन कराना है तो एक डॉक्टर की सलाह की जरूरत होगी। इसके अतिरिक्त कुछ श्रेणी की महिलाओं को 20 से 24 हफ्ते के बीच गर्भ समापन कराने के लिए दो डॉक्टरों की सलाह की जरूरत होगी।  24 सप्ताह के बाद मेडिकल बोर्ड की सलाह लेना आवश्यक होगा।

इस अवसर पर मैसवा मैन हकीम अंसारी ने बताया कि संशोधित एम. टी. पी. कानून ने गर्भवती महिलाओं को दवा द्वारा नौ सप्ताह तक अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है। और उन महिलाओं की गरिमा में और गोपनीता को सुनिश्चित किया गया है।यह कानून मानसिक रूप से कमजोर महिलाओं को भी गर्भ समापन का अधिकार सुनिश्चित किया है।इस अवसर पर क्रिया वॉलिंटियर शकुंतला देवी सहित, कलावती, बृजलाल बर्मा, गार्गी, ऊषा देवी आदि लोग मौजूद रहे।

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