आनंद गुप्ता
पलिया कलां मझगईं खीरी। पलिया तहसील के ग्राम सभा कोठिया में सभी को आवास योजना का मखौल उड़ाया जा रहा है, जहां कांति देवी जैसे तमाम बासिंदें पात्रता श्रेणी में होने के बावजूद भी पालीथीन की पल्ली तथा छप्परों के नीचे गुजर बसर करने को मजबूर हैं।
अपनों को रेवड़ियां बांटने की प्रथा कोई नयी नहीं है जिसे मौक़ा मिला उसने बहती गंगा में हाथ धोएं और अपनों को रेवड़ियां बांटी जब तक गांव के विकास का नंबर आया तो बहुत देर हो चुकी थी।
कांति देवी पत्नी रामासारे ने हमारे संवाददाता को बताया की तीन बार खुली बैठक में नाम पास होने के बाद लेखपाल ने पात्रता श्रेणी में नाम दर्शा दिया गत वर्ष आई बाढ़ में कांति देवी का छप्पर नुमा घर पूरी तरह गिरकर नेस्तनाबूद हो गया था, बाढ़ राहत के तहत उसे 4100 पुनर्वास के लिए देने के साथ मुख्यमंत्री आवास योजना में नाम शामिल किया गया लेकिन लगभग 2 वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक ग्राम प्रधान की मनमानी के चलते आवास उपलब्ध नहीं हो पाया। और आज भी कांति देवी पॉलिथीन की पन्नी के नीचे रहने को विवश है तथा उस अभी भी मुख्यमंत्री के प्रति विश्वास जाहिर है की योगी जी हमें कॉलोनी दिलवाएंगे। ऐसे एक नहीं गांव में सैकड़ों उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहां भाई भतीजाबाद, जातिवाद, और ऊंच-नीच की खाई तथा वोट बैंक की लड़ाई में न जाने कितनी कांति देवियों के हक दबाकर अपात्रों के खाते में दर्ज कर दिए जाते हैं।
अब देखना यह होगा कि सरकार द्वारा इस गरीब की आवाज को दबाया जाएगा या आवास योजना का लाभ दिया जाएगा।
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