रमेश कुमार मिश्रा
गोण्डाः वरासत दर्ज में लापरवाही और अनियमितता बरतना क्षेत्रीय लेखपाल और राजस्व निरीक्षक को भारी पड़ गया। जनता दर्शन में जिलाधिकारी नेहा शर्मा से की गई शिकायत पर शुरू जांच में इनकी लापरवाही खुलकर सामने आई। तहसीलदार की संस्तुति पर उपजिलाधिकारी सदर द्वारा दोनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं, अपने हक के लिए महीनों से चक्कर लगा रहे शिकायतकर्ता को राहत मिल गई।
मामला सदर तहसील के ग्राम कमड़ावा का है। बीती 06 सितम्बर को जनता दर्शन के दौरान जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा के समक्ष ग्राम कमड़ावा निवासी राम शब्द तिवारी ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायकर्ता ने बताया कि उनके जीवित होने के बावजूद उनकी भूमि को गांव के ही एक अन्य मृतक व्यक्ति के वारिसान के नाम दर्ज कर दिया गया है।
जिलाधिकारी के आदेश पर शिकायती पत्र में उल्लिखित तथ्यों की जाँच की गई। जांच में पाया गया कि शिकायतकर्ता श्री राम शब्द नाम के 02 व्यक्ति ग्राम कमडावा में रहते हैं। एक की जाति अनुसूचित जाति कोरी है जिनकी मृत्यु हो गई है तथा दूसरे की जाति ब्राम्हण हैं जो जीवित है। ब्राम्हण जाति के रामशब्द के नाम खाता संख्या 283, 366, 446 5. 356, 316, 476, 310, 312, 311, 325 व 340 संक्रमणीय भूमिधर दर्ज कागजात है।अनुसूचित जाति की उपजाति कोरी के मृतक राम शब्द के वारिसानों द्वारा वरासत हेतु ऑनलाइन आवेदन किया गया जिस पर बिना जाँच व तथ्यों की जानकारी किये स्वेच्छाचारी ढंग से क्षेत्रीय लेखपाल श्री हितेश तिवारी द्वारा ब्राम्हण जाति के रामशब्द को मृत होना दर्शाते हुए उनकी भूमि खाता संख्या 283, 366, 446 5 356, 316, 476, 310, 312. 311, 325 व 340 पर मृतक राम शब्द कोरी के वारिसानों का नाम अंकित करने हेतु रिपोर्ट ऑनलाइन एवं ऑफलाइन अग्रसारित की गई है। वहीं, राजस्व निरीक्षक हनुमान प्रसाद पाण्डेय ने भी बिना स्थलीय जांच के मनमाने ढ़ंग से वरासत की कार्यवाही की। जांच में खुलासे के बाद सोमवार को पूर्व पारित त्रुटिपूर्ण वरासत आदेश को निरस्त कर संशोधित आदेश पारित कर दिया गया है। वहीं उपजिलाधिकारी सदर ने बताया कि लापरवाही के लिए दोषी पाए जाने पर क्षेत्रीय लेखपाल और राजस्व निरीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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