गोंडा:आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा आज दिनांक 18 अगस्त 2023 को विकासखंड मनकापुर के ग्राम महेवा नानकार में धान फसल में समसामयिक कार्य विषय पर प्रशिक्षण संपन्न हुआ । प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. रामलखन सिंह ने धान की सीधी बुवाई किये खेत में उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई प्रबंधन एवं खरपतवार प्रबंधन की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि धान की फसल में कल्ले बनने की अवस्था तथा बाल बनने की प्रारंभिक अवस्था में नैनो यूरिया का पर्णीय छिड़काव बेहद लाभकारी है । धान की रोपाई से एक सप्ताह तक, कल्ले बनने की अवस्था पुष्पा अवस्थातथा दाने में दूध बनने की अवस्था सिंचाई की क्रांतिक अवस्थाएं हैं । इन अवस्थाओं पर नमी की कमी नहीं होना चाहिए । धान की फसल में यदि जिंक सल्फेट का प्रयोग नहीं किया है तथा धान की पत्तियों में कत्थई रंग के धब्बे दिखाई दे रहे हैं, तो जिंक सल्फेट का प्रयोग अवश्य करें । जिंक सल्फेट 21% की 10 किलोग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से खेत में प्रयोग करें अथवा जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत की 2 किग्रा.मात्रा को एक किलोग्राम बुझा हुआ चूना या 6 किलोग्राम यूरिया को डेढ़ सौ लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें । इससे जिंक तत्व की प्राप्ति फसल को हो जाती है । डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि धान की फसल में प्रति एकड़ 40 से 50 कुंतल गोबर की सड़ी खाद या नाडेप कंपोस्ट का प्रयोग करने से फसल की बढ़वार अच्छी होती है तथा भरपूर पैदावार प्राप्त होती है । प्रशिक्षण के दौरान विनोद कुमार तिवारी कृषक द्वारा धान की सीधी बुवाई किए गए खेत का निरीक्षण किया गया । धान की सीधी बुवाई की फसल बहुत अच्छी है । प्रत्येक पौधे में 20 से 25 कल्ले देखे गये । इस अवसर पर विनोद कुमार तिवारी,बिजेंद्र, शत्रुघ्न, थुन्नी आदि प्रगतिशील कृषकों एवं महिलाओं ने प्रतिभाग कर धान में समसामयिक कार्य विषय पर जानकारी प्राप्त की ।
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