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छपिया:पत्रकार उत्पीड़न को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने चार सप्ताह में एसपी से मांगी रिपोर्ट



संजय कुमार यादव 

बभनजोत गोंडा: एक न्यूज़ चैनल के पत्रकार को दरोगा का  एक ट्वीट करना काफी महंगा पड़ गया था। इससे नाराज दरोगा ने उसके ऑफिस पहुंचकर कानून की सारी मर्यादा तोड़ दी। ऑफिस में मिले तीन यूट्यूब पत्रकारों की पिटाई करने के बाद गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। पीड़ित की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए एसपी से चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।प्रकरण गोंडा जिले के छपिया थाना के भोतपुर पुलिस सहायता केंद्र से जुड़ा है। पीड़ित पत्रकार दुर्गा सिंह पटेल ने मानवाधिकार आयोग को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा है कि वह एक न्यूज़ चैनल का रिपोर्टर है। भोतपुर पुलिस सहायता केंद्र के पास उसकी ऑफिस है। बीते 25 जून को खबर चलाने तथा एक ट्वीट से नाराज चौकी प्रभारी  अपने दल बल के साथ उसके ऑफिस पहुंच गए। ऑफिस में गालियों की बौछार करते हुए मारा पीटा। फिर तीनों को वहां से हिरासत में लेकर चौकी आए। सुबह पुलिस टीम पर हमले सहित कई गंभीर आरोप लगाते हुए उप निरीक्षक राजेश दुबे ने तहरीर देकर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेज दिया।

पत्रकार से अभद्रता के मामले में लाइन हाजिर दरोगा को उसी थाने में दी गई तैनाती

पत्रकार से अभद्रता करने के मामले में तत्कालीन एसपी आकाश तोमर द्वारा लाइन हाजिर कर विभागीय जांच के आदेश दिए थे, लेकिन जांच की आंच नही पहुँची और विवादों में रहे दरोगा राजेश दुबे को 1 माह 22 दिन बाद दोबारा छपिया थाना के मसकनवा चौकी का प्रभार सौंप दिया गया, जिससे महकमे की चारों ओर किरकिरी हो रही है। वही पीड़ित पत्रकार का आरोप है, कि आयोग में शिकायत करने बाद से लगातार दरोगा व सिपाहियों द्वारा गंभीर मुकदमे में फसाने की धमकियां दी जा रही है, जिससे पीड़ित पत्रकार काफी परेशान है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान 

दुर्गा सिंह पटेल ने मानवाधिकार आयोग को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा है कि 25 जून की रात्रि 11 बजे थाना छपिया की पुलिस सहायता केंद्र भोतपुर पुलिस चौकी के उप निरीक्षक राजेश दुबे, सिपाही मृदुल हेड कांस्टेबल राममिलन चौहान कार्यालय पहुंचकर तोड़फोड़ कर मारा पीटा गालियां दिया। उसके बाद दुर्गा प्रसाद पटेल ,दुर्गेश पटेल व बादल सिंह को पड़कर थाने ले गए। वहां पर हिस्ट्रीशीटर बनाने की धमकी देते हुए गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था  प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। मामला आयोग के संज्ञान में आने के बाद पीड़ित को न्याय की उम्मीद बढ़ गई है।

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