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मनकापुर:इफको द्वारा नैनो यूरिया व नैनो डीएपी आधारित प्रशिक्षण संपन्न

 


गोंडा:इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड गोंडा द्वारा आज दिनांक 3 अगस्त 2023 दिन गुरुवार को विकासखंड मनकापुर के सभागार में नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग विषय पर प्रशिक्षण संपन्न हुआ । प्रशिक्षण का शुभारम्भ ब्लाक प्रमुख मनकापुर जगदेव चौधरी ने किया । उन्होंने कृषकों से नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग का आह्वान किया । उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग से फसलों की उपज में वृद्धि होगी । अशोक कुमार सहायक निबंधक सहकारिता ने सहकारी समितियों में यूरिया एवं डीएपी उर्वरकों की आपूर्ति के संबंध में बताया कि जनपद में यूरिया डीएपी आदि उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं । वैज्ञानिक संस्तुति के अनुसार किसान भाई उर्वरकों का प्रयोग करें । नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग से  दानेदार यूरिया एवं डीएपी पर दिया जाने वाला अनुदान कम होगा । इससे राष्ट्र को काफी बचत होगी । डॉ. डीके सिंह मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक इफको ने नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग विधि की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया की 4 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल की बुवाई के एक माह बाद छिड़काव करें । दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 से 20 दिन बाद करें । नैनो डीएपी की 5 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल बुवाई के 30 से 35 दिन बाद छिड़काव करें । नैनो डीएपी से बीज का शोधन, रोपाई वाली फसलों में जड़ का शोधन, कंद वाली फसलों में कंद का शोधन तथा गन्ना फसल में गन्ना बीज के टुकड़ों का शोधन किया जा सकता है । बीज  व कंद के शोधन हेतु नैनो डीएपी की 5 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 25 से 30 मिनट तक पौधे की जड़ को या कंद को उपचारित करना चाहिए । नैनो यूरिया की आधा लीटर की बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर कार्य करती है । नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी का अधिकतम भाग पौधे उपयोग कर लेते हैं, जबकि दानेदार यूरिया एवं दानेदार डीएपी का मात्र 30 से 35 प्रतिशत भाग ही पौधे उपयोग कर पाते हैं । डा.रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर ने नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग को जरूरी बताया । उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया की  आधा लीटर की एक बोतल एक एकड़ खेत में छिड़काव के लिए पर्याप्त है । उन्होंने मोटे अनाज की खेती को अपनाने की सलाह दी । वर्ष 2023 अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है । मोटे अनाज को श्रीअन्न नाम दिया गया है । मोटे अनाज में आठ फसलों को रखा गया है । इसमें ज्वार बाजरा रागी कोदों सांवा कंगनी कुटकी शामिल हैं । मोटे अनाज की खेती सीमित संसाधनों में की जा सकती है । इनकी खेती वर्षा आधारित की जा सकती है । मोटे अनाज मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं । मोटे अनाजों में रेशा, कैल्शियम प्रोटीन आदि की मात्रा धान गेहूं की अपेक्षा अधिक है । यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी हैं । मनीष श्रीवास्तव अपर जिला सहकारी अधिकारी सहकारिता ने इफको के उत्पादों, रामसजीवन पांडेय सहायक विकास अधिकारी सहकारिता ने उर्वरकों के सुरक्षित भंडारण की जानकारी दी । कार्यक्रम की अध्यक्षता लल्लन प्रसाद अध्यक्ष सहकारी समिति अशरफपुर द्वारा की गई । इस अवसर पर आमोद प्रताप सिंह अध्यक्ष सहकारी समिति, रामबहादुर यादव उपाध्यक्ष, जगदीश प्रसाद यादव एटीएम सहित प्रगतिशील कृषकों अयोध्या प्रसाद वर्मा एवं किसान सखी बहनों लक्ष्मी एवं कंचन देवी ने प्रतिभाग कर फसलों में नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

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