कमलेश
खमरिया खीरी:मुख्यमंत्री के शख़्त आदेशों के बाद भी ईसानगर खमरिया क्षेत्र में छुट्टा मवेशियों की संख्या में इज़ाफ़ा होता जा रहा है। सैकड़ो की संख्या में खुलेआम सड़कों व खेतों में घूम रहे मवेशियों की व्यवस्था करने में ज़िम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे है। जिसके चलते किसानों के खेतों में खड़ी फसलों को मवेशी चट कर उन्हें बर्बाद कर रहे है वही दूसरी ओर यही मवेशी सड़कों,कस्बों व गावों में कब्जा जमा कर आमजन के लिए दुर्घटनाओं का कारण भी बनते जा रहे है। जिसको लेकर किसानों के साथ साथ सड़कों से गुजरने वाले राहगीरों में शासन के प्रति आक्रोश व्याप्त होता जा रहा है।
शासन के शख़्त आदेशों के बाद भी ईसानगर, खमरिया, लाखुन, समर्दा,अल्लीपुर, मटेरिया,ऐरा, समर्दा,परसिया, दिलावलपुर, समैसा, खमरियाखुर्द,गैसापुर,जसवंतनगर,बेहटा समेत अन्य गांवों में हज़ारों की संख्या में छुट्टा जानवर खेतों में घुसकर खड़ी फसलों को चट कर तबाही मचाए हुए है। यही नहीं कस्बों,गावों व सड़कों पर बड़ी संख्या में घूम रहे इन मवेशियों की वजह से आये दिन हो रहे हादसों में लोग असमय घायल होकर काल के गाल में शमाने को मजबूर है। हाल ही में ईसानगर में सांड के हमले में घायल शाहिद की मौत व सांड के हमले में घायल घाघरा नदी पार ओझापूर्वा गांव का 15 वर्षीय राजू जो बहराइच जनपद में जिंदगी मौत से लड़ रहा है।
बावजूद जिम्मेदार इन मवेशियों की व्यवस्था करवाने को लेकर अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे है।
इस बाबत खमरिया व उसके आस पास के किसान छोटे लाल, हरिनाम, दिनेश मिश्रा,राकेश पाण्डेय, सुरेश,कपिल, रमाकांत, मनोज,मोनू,दिनेश,सुभाष,कपिल,रामू,रमाशंकर,आयुष,श्यामू, आदि बता रहे है कि मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद भी अधिकारी छुट्टा जानवरों को कम करने की व्यवस्था नहीं कर पा रहे है,उल्टे जानवरों की संख्या में लगातार बढोत्तरी होती जा रही है। जिसकी वजह से कड़ी मेहनत व जमापूंजी लगाकर खेतों में तैयार की गई गन्ना,केला,धान की फसलों को यह चट कर उन्हें भुखमरी की कगार पर पहुचा रहे है,जब फसलें ही नहीं बचेगी तो घर परिवार का खर्च व बच्चों की शिक्षा कैसे पूरी होगी।
परिवार को छोड़कर खेतों में रहकर भी नहीं बचा पा रहे फ़सलें
शासन के शख़्त आदेशों के बावजूद भी खमरिया,ईसानगर क्षेत्र में हजारों की संख्या में छुट्टा जानवर दिन हो या रात सड़कों से लेकर खेतों में तबाही मचाए हुए है। जिसको लेकर किसान परिवार को घर मे अकेला छोड़कर खेतों में रहकर भी अपनी फसलें नहीं बचा पा रहे है,वही सड़कों पर कब्जा जमाए जानवर अब खूंखार होते भी दिखाई पड़ने लगे है जिनके बीच निकलने वाले राहगीर इनका शिकार बन असमय ही काल के गाल में शमा रहे है, बावजूद जिम्मेदार बेखबर होकर चुप्पी साधे हुए है।
फसलों को बर्बाद होता देख किसानों में पनपने लगा आक्रोश
खून पसीने से सींचकर खेतों में तैयार की गई फसलों को मवेशियों द्वारा चट करने से बर्बादी की कगार पर पहुच रहे किसानों में अब शासन के प्रति भी आक्रोश भी पनपने लगा है। इस बाबत अपनी कड़ी मेहनत से तैयार की गई फसलों को गवा चुके किसानों ने बताया कि दिन रात मेहनत कर कमाए गए धन को खेतों में लगा दिया जिससे तैयार की गई फसलों को मवेशियों ने चट कर उन्हें बर्बाद कर दिया है,अगर इसी तरह रहा तो अब उन्हें भी मवेशियों को लेकर मौजूदा शासन के प्रति अपनी विचार धारा भी बदलनी पड़ेगी।
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