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भारत और नेपाल कभी जुदा नहीं हो सकता : पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री



उमेश तिवारी  

नेपाल के तीन दिवसीय दौरे के दौरान बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भारत और नेपाल कंधे से कंधा मिलाकर सनातन का झंडा पूरे विश्व में फैला रहे है।


बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भारत और नेपाल के रिश्तों को खराब करने वालों पर न सिर्फ चुटकी ली बल्कि उन्हें अपने ही अंदाज में नसीहत और चेतावनी भी दी है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने तीन दिवसीय दौरे पर नेपाल पहुंचे थे। 



इस दौरान उन्होंने  भारतीय सीमा से सटे नेपाल के नवलपरासी जिले में दिव्य दरबार और हनुमंत कथा आयोजित की। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि ये वह भूमि है जहां जन्म लेने वालों को अयोध्या नहीं जाना पड़ता है अयोध्या के राम को यहां आना पड़ता है। मां जानकी की नगरी है और नेपाल हमारे भारत का एक अभिन्न अंग, हमारे भारत का मित्र देश, हमारे भारत के साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूरी दुनिया में सनातन का झंडा फहराने वाला राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि भारत अगर दिल है तो नेपाल धड़कन है, भारत अगर काया है तो नेपाल छाया है,भारत शरीर है तो नेपाल प्रांण है और इतना ही नहीं यह आदि काल से है और इनके संबंध अनन्त काल तक जुड़े रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि नेपाल और यहां के लोग बहुत अद्भुत हैं, श्रद्धा प्रबल है सनातन के प्रति यहां के लोगों में जागृति हो रही है। प्रभु राम और मईया सीता के नाते नेपाल हमारा ननिहाल है। उन्होंने कहा कि हमारे एक अनन्य भक्त वरूण चौधरी जी हैं जिनकी सेवा, संकल्प,समर्रथता  और प्रभु श्रीराम और मईया सीता के प्रति गहरी निष्ठा है। चौधरी परिवार और यहां के भक्त गणों तथा नेपाली प्रशासन के सहयोग तथा परिणाम स्वरूप यह कथा निर्विघ्न सम्पन्न हुआ। उन्होंने कहा कि कुरीतियां करने वाले चाहे जितना भी कुरीति कर लें अनन्त काल तक नेपाल और भारत को कोई भी जुदा नहीं कर सकता।


जय श्री राम के नारे से गूंजा पूरा पंडाल 

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के हनुमंत कथा के दौरान भारत और नेपाल में सनातन धर्म के बढ़ावे के लिए नेपाल के नवयुवक पीढ़ी को आगे आने का आग्रह भी किया। सनातन धर्म और हिंदू राष्ट्र बाबा के संकल्प को वहां के युवा पीढ़ी में असर भी देखने को मिला और माता जानकी और श्री राम के नारों से पूरे 3 दिनों तक पूरा पंडाल गूंजता रहा।


कथा के अंतिम दिन हजारों की संख्या में नेपाली श्रद्धालुओं के साथ भारतीय श्रद्धालु, प्रशासनिक एवं पुलिस के अधिकारी तथा राज नेता उपस्थित रहे।

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