अभय शुक्ला
प्रतापगढ़। चिलबिला के समीप रंजीतपुर स्थित पं. सुखराज रघुनाथी इंस्टीट्यूट आफ एजूकेशन एंड टेक्नालाजी के सभागार में स्वतन्त्रता दिवस पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन हुआ। इसकी अध्यक्षता ग़ज़ल सम्राट राजमूर्ति सिंह सौरभ ने की। महफ़िल-ए-अदब के बैनर तले आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों तथा शायरों ने देश की आज़ादी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का आगाज किया। डाॉ सुरेश दुबे व्योम की वाणी वंदना और रौनक़ प्रतापगढ़ी के द्वारा नात-ए-पाक से कवि सम्मेलन शुरू हुआ। नामचीन शायर डाॉ आफ़ताब जौनपुरी ने क़ौमी एकता का कलाम पेश करते हुए पढ़ा- बच्चा बच्चा देश पर क़ुर्बान है। क़ौमी यकजहती हमारी शान है। गीतकार सुनील प्रभाकर ने अपने गीत-अंधेरे कौन बाटेगा, सवेरे कौन बांटेगा से तालियां बटोरी। संस्था के सचिव और कवि सम्मेलन के संयोजक अंतर्राष्ट्रीय शायर डाॉ अनुज नागेन्द्र ने पढ़ा- ग़ुस्से में है वो देखके तेवर अमीर के, आ जायँ बद्दुआएं न लब पर फ़क़ीर के.... सहित पढ़ी गयी गजलें लोंगो की जुबां पर आ गयी। गीतकार सत्येन्द्र सिंह सौम्य ने शहीदों को नमन करते हुए अपना गीत पढ़ा। इसे भी लोगों में पसंदीदा देखा गया। कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का सफल संचालन मशहूर शायर और महफ़िल-ए-अदब के अध्यक्ष ख़ुर्शीद अम्बर ने किया। खुर्शीद ने पढ़ा-अजान अच्छी नहीं लगती भजन अच्छा नहीं लगता, बुरे लोगों को पाकीज़ा चलन अच्छा नहीं लगता। अवधी के वरिष्ठ कवि आचार्य अनीस देहाती व व्यंग्यकार राजेश प्रतापगढ़ी ने अपने मुक्तकों से समां बांधी। आयोजक चन्द्रकांत चन्द्र ने भी गीत और ग़ज़लों से आयोजन को चार चांद लगाया। वरिष्ठ गीतकार डाॉ श्याम शंकर श्याम ने पढ़ा-उससे केवल दिल टूटा है... सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ग़ज़लकार राजमूर्ति सिंह सौरभ ने भी धीर गंभीर रचनाएं प्रस्तुत कर प्रबुद्ध वर्ग का खासा समर्थन जुटाया। वहीं डॉ. राजेन्द्र राज, गजेंद्र सिंह विकट, तल्हा ताबिश, मो ख़ालिद, रौनक़ प्रतापगढ़ी की भी रचनाएं सराही गयीं। इस मौके पर राजकुमार भारती, अजय सिंह, मीरा देवी, संजय शुक्ल आदि रहे।
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