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गोंडा: तबाही मचाने को बेताब घाघरा, खतरे के निशान से 21 सेंटीमीटर ऊपर बहाव, बाढ़ के प्रभाव में आने वाले ग्रामीणों की बढ़ी धड़कने



रमेश कुमार मिश्रा 

गोंडा : नेपाल के पहाड़ी इलाकों लगातार में हो रही बारिश के कारण बैराजों से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा और सरयू नदी पूरे उफान पर है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक शुक्रवार की सुबह घाघरा नदी खतरे के निशान से 21 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। नदी से सटे गांव में पानी का फैलाव होने के बाद घाघरा और सरयू नदी के उतार-चढ़ाव के बीच संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। हालांकि प्रशासन पानी से घिरे गांव के लोगों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है।

यूपी के गोंडा जिले में घाघरा और सरयू नदी में बैराजों से पानी छोड़े जाने के बाद जलस्तर में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कर्नलगंज और तरबगंज तहसील के दो दर्जन ग्राम पंचायतों के करीब तीन दर्जन मजरे पानी के फैलाव से पूरी तरह से घिर चुके हैं। बीते बरस सरयू नदी की उफान से ढेमवा घाट पुल के पास 600 मीटर सड़क बह गई थी। करीब एक वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद अभी तक सड़क का निर्माण नहीं हो सका। जिससे अयोध्या और लखनऊ राजमार्ग जोड़ने वाला यह शॉर्टकट मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया। इस बार सरयू नदी में उफान आने से ढेमवा घाट पुल में कटान शुरू हो गई। संभावित खतरे के मद्देनजर प्रशासन ने पुल के रास्ते से आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया है। सपा शासनकाल में करोड़ों रुपए की लागत से बनाए गए ढेमवा पुल के निर्माण में बड़ी चूक सामने आई है। जिसकी वजह से अब पुल पर खतरा मंडराने लगा है। पुल का निर्माण तो करा दिया गया लेकिन नदी की धारा को मोड़ने वाले पुल के नीचे गाइडिंग बन्ड्स नहीं बनाए गए। सोमवार को गिरजा बैराज से 155103 क्यूसेक शारदा बैराज से 1387707 तथा सरयू बैराज से 1448 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज किया गया है। कुल मिलाकर 295258 क्यूसेक पानी बैराजों से छोड़ा गया है। घाघरा का जलस्तर प्रति घंटे 1 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है। मंगलवार को जलस्तर में काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है।

नदी के तटवर्ती गांव में बड़ा संक्रामक रोगों का खतरा

नदी के तटवर्ती 24 पंचायतों के गांव ऐसे हैं। जो कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। बाढ़ का संकट तो है।गांव के किनारे तक पानी पहुंच गया है। इससे संक्रामक रोग भी फैल रहे हैं। नवाबगंज, तरबगंज, करनैलगंज, परसपुर, बेलसर के स्वास्थ्य केंद्रों पर लगातार माझा के बीमार लोग पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने भी स्वास्थ्य टीमों को सक्रिय कर दिया है। जिससे लोगों का परीक्षण कर दवाएं दी जा रही हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर चिक्तिसकों को भी निर्देश दिया गया है। कि दवाओं की कमी न रहने पाए।जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि घाघरा और सरयू नदी में बैराजों से लगातार जो पानी का डिस्चार्ज हो रहा है। उसकी बराबर देखरेख की जा रही है। बाढ़ क्षेत्र में प्रशासन के अधिकारी लगातार फील्ड में उतरकर निगरानी कर रहे हैं। ढेमवा घाट पुल की कटान जब संज्ञान में आया तो उसे तत्काल आवागमन बंद करा दिया गया। यह एक ऐसा विषय था। जो बाद में समस्या उत्पन्न कर सकता था। पुल के नीचे जो गाइडिंग बन्ड्स बनाए जाते हैं। नदी को गाइड करते हैं। वह नहीं बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि गाइडिंग बन्ड्स बनाने में बहुत समय लगता है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों को गाइडिंग बन्ड्स बनाने के लिए कार्यवाही पूरा करने की निर्देश दिए गए हैं। पानी घटने लगा है। जलस्तर घटने के बाद सिल्ट आ जाती है। संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका होती है। इसके मद्देनजर हमारी स्वास्थ्य टीम क्षेत्र में भ्रमण कर रही हैं। लोगों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। दोनों नदियां खतरे के निशान से नीचे हैं। इसलिए किसी भी प्रकार की आशंका नहीं है।

एडीएम बोले- अभी किसी गांव की आबादी में नहीं घुसा पानी

अपर जिलाधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि आज हमने बाढ़ से प्रभावित होने वाले गांव का दौरा किया है। अभी किसी भी गांव में आबादी में पानी नहीं घुसा है। हमारी 28 बार चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। सिंचाई विभाग के अभियंता लगातार बांधों की निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा ड्रोन कैमरा और सीसीटीवी से बांध की निगरानी की जा रही है। घाघरा खतरे के निशान से आज 21 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गई हैं। फिर भी बांध को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र जरूर प्रभावित हुआ है।

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