बीपी त्रिपाठी
गोण्डा। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही विकास कार्यों और सौंदर्यीकरण इत्यादि सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर सरकारी खजाने से लाखों करोड़ों रुपए खर्च करते हुए भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के दावे कर रहे हों लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिसका मुख्य कारण उनके अधीनस्थ जिले व ब्लाक स्तर के जिम्मेदार अधिकारी,कर्मचारी हैं जिन पर सरकार का कोई अंकुश ना होने से सरकारी धनराशि को बंदरबांट कर अपनी तिजोरी मजबूत करने की आदत में सुधार नहीं ला रहे हैं और इनके बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचरित कार्यों की वजह से सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। जी हां मौजूदा समय में हम बात कर रहे हैं गोंडा जिले के सदर तहसील क्षेत्र अन्तर्गत विकासखंड पंडरी कृपाल के ग्राम पंचायत बिशुनपुर बैरिया की,जहां पर स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कराई जा रही स्कूल व बाउंड्रीवॉल निर्माण कार्य में जिम्मेदारों की मिलीभगत के चलते मानक विहीन सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे जिम्मेदारों की तिजोरी को मजबूत हो सके। गंभीर जांच का विषय है कि जहां नन्हे मुन्ने बच्चे शिक्षा प्राप्त करने आते है वहीं पर कराई जा रही स्कूल व बाउंड्री वॉल निर्माण कार्य में अनियमिततायें बरती जा रही जो कि किसी खतरे से कम नहीं होगीं लेकिन ब्लॉक स्तर पर जिम्मेदारों और ठेकेदारों को अपनी तिजोरी मजबूत करने के आगे नौनिहालों की सुरक्षा और किसी भी दुर्घटना से सरकार की छवि धूमिल होने को लेकर कोई असर नहीं पड़ता। हालांकि अगर देखा जाए तो स्कूल व बाउंड्री वाल निर्माण कार्य की चर्चा इस समय क्षेत्र में सुर्खियों में है। लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते तेजी से पीले व घटिया सामग्री से स्कूल व स्कूल के बाउंड्री का निर्माण तेजी से चल रहा है। वहीं विद्यालय में हो रहे कार्य जिसमें ग्राम प्रधान के साथ साथ ग्राम विकास अधिकारी की अहम भूमिका होती हैं और हो रहे कार्य से न ही ग्राम प्रधान मुँह मोड़ सकता हैं और ना ही ग्राम विकास अधिकारी और इसी के साथ ही विकास खण्ड (ब्लॉक) के अधिकारियों को भी इसकी पूरी जानकारी होना आवश्यक है फिर भी पीले ईंट से निर्माण संयुक्त लापरवाही को दर्शाता है। इस संबंध में ज़ब संवाददाता द्वारा कार्य कर रहे मजदूरों से ईंट के संबंध में पूछा गया तो मिस्त्री व श्रमिकों ने स्वीकार किया कि यह दोयम ईंट हैं साथ ही यह भी बताया कि जो ठेकेदार कहते हैं और सामान देते हैं हम लोग वही कार्य करते हैं जो कि सही भी हैं आखिर मजदूर वर्ग जो कार्यरत है और कर भी क्या सकते हैं ? अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या जिम्मेदार यूं ही मुकदर्शक बने रहेंगे या सरकार की छवि और बच्चों को सुरक्षित महसूस रखते हुए जांच की जाएगी,यह अभी स्पष्ट रूप से कह पाना संभव नहीं होगा।
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