बंशी बेली में नदी का रुख देख ग्रामीण स्वयं तोड़ रहे अपने मकान
बेलागढ़ी छत्रबंगला समेत आधा दर्जन स्कूलों में भरा पानी,शिक्षण कार्य बाधित
कमलेश
लखीमपुर खीरी:एक तरफ जहां पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव में डूबा हुआ है,वही ईसानगर ब्लॉक में सरयू नदी का तांडव देख लोग अपने मकान स्वयं तोड़कर गांव से पलायन करने को विवश है। यही नहीं खून पसीने से तैयार की गई फसलों को नदी में समाते देख किसान भुखमरी की कगार पर पहुच रहे है। बावजूद कटान को रोकने के लिए बड़े बड़े दावे करने वाले बाढ़ खंड शारदा नगर के जिम्मेदार चुप्पी साध तमाशबीन बनकर हो रही तबाही को देखकर ही काम चला रहे है।
एक तरफ जहां पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव में डूबा हुआ है वही धौरहरा तहसील के ब्लॉक ईसानगर के बंशी बेली गांव में सरयू नदी तांडव मचाकर कटान शुरू किए हुए है। जिसको देख गांव के रामलखन,राममिलन,आशाराम, प्रेमचंद, लायकराम, पेशकार, रामप्रकाश समेत अन्य ग्रामीण आजादी के अमृत महोत्सव में शामिल होने की जगह कड़ी मेहनत से बनवाये गए मकानों को स्वयं तोड़कर गांव से पलायन करने को विवश है। यही नहीं इनकी हालत देखने के बावजूद भी जिम्मेदार केवल सर्वे कर कागजी खानापूर्ति करने में व्यस्त नजर आ रहे है।
ओझापुरवा में करीब 100 एकड़ जमीन सरयू में समाई,कटान रोकने के लिए बाढ़ खंड के दावे हुए फेल
ईसानगर के ओझापुरवा में सरयू नदी विकराल रूप धारण कर खून पसीने से तैयार की गई किसानों की करीब 100 एकड़ जमीन पर लहलहाती फसलों को अपने आगोश में ले लिया है। जिसके शिकार गांव के दिनेश कुमार ने बताया कि उनकी 20 बीघा जमीन कटने के साथ ही गांव के चंद किशोर, रामनरेश, जोखन, दुलारे, श्यामबिहारी, कामताप्रसाद,रामनरेश,शिवकुमार,देशराज,तीरथ,हेतराम,भगौती,सुरेश,ओमप्रकाश,गयाप्रसाद,मेवालाल,अच्छेलाल,शंकर,विशोसर,शत्रोहन,जगदम्बा,रामकुमार जगदीश समेत अन्य किसानों की करीब 100 एकड़ जमीन पर लगी फसलें नदी में शमा चुकी है। जिसमें लगाई गई जमापूंजी भी साथ ही नदी में शमा गई। अब परिवार का खर्च कैसे चलेगा इसको लेकर चिंता सता रही है। बावजूद बाढ़ खंड जो कटान रोकने के लिए बड़े बड़े दावे कर रहा था अब कही दिखाई नही पड़ रहा है।
परिषदीय स्कूलों में जलभराव से बाधित हुआ शिक्षण कार्य
सरयू नदी का पानी बेलागढ़ी, छत्रबंगला,मिलिक,गौढ़ी,चंदौली गौढ़ी,मांझासुमाली समेत आधा दर्जन सरकारी स्कूलों में जलभराव होने की वजह से शिक्षण कार्य बाधित है। यहाँ स्वतंत्रता दिवस पर शिक्षकों ने पानी मे खड़े होकर ध्वजारोहण तो किया पर शिक्षण कार्य नहीं हो पा रहा है,जिसको लेकर बीईओ अख़िलानंद राय ने गंभीरता से लेते हुए जलभराव हुए विद्यालयों की तत्काल सूचना मांगी है। इस बाबत बीईओ ने बताया कि जिन स्कूलों के बाढ़ का पानी भरा हुआ है उनकी सूचना मांगी गई है। सूचना मिलते ही वहाँ के शिक्षकों को अन्यत्र जगह पर शिक्षण कार्य के लिए भेजा जाएगा।
चकदहा मांझा सुमाली में जलभराव से ग्रामीणों की बढ़ी दिक्कतें
सरयू नदी का जलस्तर चकदहा,मांझासुमाली,चिड़ीमारन पुरवा समेत अन्य गांव व मजरों में भरने से वहां के लोगों की दिक्कतें बढ़ गई है। जबकि बुधवार को जलस्तर कुछ कम होने के बाद से लोगों ने कुछ राहत तो महसूस की है पर गावों में संक्रामक रोगों के फैलने को लेकर ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें भी दिखाई देने लगी है। इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि इधर कुछ दिनों से न तो गावों में स्वास्थ्य विभाग पहुच सका है न ही अन्य जिम्मेदार ही उनके दुर्दशा को जानने पहुचे है। वही इस बाबत जब बाढ़ खण्ड शारदानगर के ज़िम्मेदार से बात करने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फ़ोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा।
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