वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़: महान कवि, बहुमुखी प्रतिभा के धनी और विराट व्यक्तित्व वाले अटल बिहारी वाजपेयी की आज पांचवी पु्ण्यतिथि है. देश आज अपने पूर्व प्रधानमंत्री को शत् शत् नमन कर रहा है। आज इसी मौके पर नगर पंचायत रानीगंज में जिला अध्यक्ष हरिओम मिश्रा,नगर पंचायत अध्यक्ष मीरा गुप्ता, जिला महामंत्री राजेश सिंह एवं जिला प्रवक्ता राघवेंद्र शुक्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेई की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके श्रद्धांजलि दी है।जिला अध्यक्ष हरिओम मिश्र ने बताया कि एक सुलझे राजनेता, प्रखर वक्ता और बेहतरीन कवि अटल बिहारी वाजपेयी 1924 में ग्वालियर में जन्मे और दशकों तक भाजपा का चेहरा रहे और वह पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था।2018 में 16 अगस्त को 93 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अंतिम सांस ली थी. वे भले ही अब हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके संदेश, भाषणा और कविताएं हमेशा उनके होने का एहसास कराती है।अटल बिहार वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री बने. 9 बार लोकसभा सांसद चुने गए. जबकि दो बार राज्यसभा सांसद चुने गए।वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन्1977 से 1979 तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।
1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। 6 अप्रैल 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया।हरिओम मिश्र ने बताया कि अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से सम्पन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (अंग्रेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट या संक्षेप में जी॰क्यू॰ प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अन्तर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ।जिला प्रवक्ता राघवेंद्र शुक्ल ने जिला अध्यक्ष हरिओम मिश्रा की बातों को आगे बढ़ते हुए कहा कि वाजपेयी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने लम्बे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राजकुमारी कौल की मृत्यु वर्ष 2014 में हो चुकी है। अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे।वह हिन्दी में लिखते हुए एक प्रसिद्ध कवि थे। उनके प्रकाशित कार्यों में कैदी कविराई कुण्डलियां शामिल हैं, जो 1975-77 आपातकाल के दौरान कैद किए गए कविताओं का संग्रह था, और अमर आग है। अपनी कविता के सम्बन्ध में उन्होंने लिखा, "मेरी कविता युद्ध की घोषणा है, हारने के लिए एक निर्वासन नहीं है। यह हारने वाले सैनिक की निराशा की ड्रमबीट नहीं है, लेकिन युद्ध योद्धा की जीत होगी। यह निराशा की इच्छा नहीं है लेकिन जीत का हलचल चिल्लाओ। " शुक्ल ने आगे बताया कि चाहे प्रधानमन्त्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष, बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की, नपी-तुली और बेवाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। जैसे कि "भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।"
"क्रान्तिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रान्तिकारियों को भूल रहे हैं, आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ" "मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। वह हारे हुए सिपाही कानैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है।इस अवसर पर बद्री गुप्ता, संजय मिश्रा, विवेक शर्मा, संजय मिश्रा सह मीडिया प्रभारी देवेश त्रिपाठी उपस्थित रहे।
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