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हुज़ूर! मैं अभी “ज़िंदा” हूँ,अधिकारियों ने कागज में जीते जी मार दिया,....गोंडा में एक 75 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला खुद के ज़िंदा होने की दे रही गवाही



इमरान 

गोंडा।अधिकारियों की एक लापरवाही ने 75 वर्षीय ज़िंदा बुज़ुर्ग महिला को मृत घोषित कर दिया गया। अब बुज़ुर्ग महिला डेढ़ सालों से ब्लाक से लेकर ज़िला मुख्यालय तक इन्ही अधिकारियों के चक्कर काट खुद को ज़िंदा होने का सबूत दे रही।मगर उसे डेढ़ सालों में आस्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।अब लाचार बुज़ुर्ग महिला थक हार कर आँखों में बेबसी के आंसू लिए अपनी ज़िंदा होने की गवाही दे रही है।



मामला विकासखंड मनकापुर के उपाध्यायपुर ग्रांट पोस्ट देवरिया का है,जहाँ की निवासी 75 वर्षीय महिला शोभावती पत्नी स्व जगदंबा प्रसाद को अधिकारियों ने कागज में ज़िंदा मार दिया।जिससे उन्हें सरकार से मिलने वाली वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा।बूढ़ी महिला के पति का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है,उनके बेटे किसी तरह मेहनत मजदूरी कर दो जून की रोटी जुहाता है और अपने परिवार का भरण पोषण करता है।ऐसे में पेंशन ही एक मात्र जीवन काटने का सहारा था।जो अब डेढ़ सालों से बंद होने पर लाचारी बेबसी भरी जिंदगी काटने को मजबूर है।



अब बुज़ुर्ग महिला खुद को जीवित साबित करने के लिए डेढ़ सालों से अधिकारियों के चक्कर काट रही है।वह पिछले दिनों जनपद की तेज़ तर्रार डीएम नेहा शर्मा द्वारा आयोजित जन चौपाल में मिलकर अपनी दुख बताने भी पहुंची थी,लेकिन उसने बताया की उसे पुलिस वालों ने रोक लिया और प्राथना पत्र खुद ले लिया जिससे वह डीएम से मिलकर अपनी दर्द नहीं बाँट सकी।इससे पहले भी वह ब्लाक अधिकारियों से लेकर जनपद मुख्यालय के अधिकारियों तक से मिल चुकी है,मगर उसे अभी तक न्याय नहीं मिला है।और वह अब ज़िले के तेज़ तर्रार डीएम नेहा शर्मा से उम्मीद की आस लगाए इस इंतजार में बैठी है की शायद उनकी दुख को वह समझ सकें ताकी उसकी बची हुई ज़िंदगी थोड़ी बेहतर गुज़र सके।

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