Nag Panchami:सावन मास के शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन हर साल नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। नाग पंचमी के त्यौहार पर पूजन अर्चन करने से कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है।
शुभ योग
ज्योतिषाचार्य आचार्य पवन तिवारी के अनुसार आगामी
21 अगस्त दिन सोमवार को प्रात:काल से लेकर रात 10 बजकर 21 मिनट तक नागपंचमी के लिए शुभ योग है । उसके बाद से शुक्ल योग प्रारंभ होगा, जो पूरी रात तक है इस दिन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक है।
मान्यताएं
हर साल नाग पंचमी का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करते हैं । पुराणों के अनुसार वासुकी नाग भगवान शिव के गले के हार हैं, जबकि शेषनाग की शैय्या पर भगवान विष्णु शयन करते हैं। शेषनाग पर ही पृथ्वी का भार है, समुंद्र मंथन के समय वासुकी ही वो मजबूत रस्सी बने थे, जिसकी वजह से सागर मंथन हुआ था, उससे अमृत समेत कई बहुमूल्य वस्तुएं निकलीं और श्रीहीन देवताओं को दोबारा माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिला । ये इसका प्रमाण है कि नाग विष से भरे होने के बाद भी लोक कल्याण में पीछे नहीं रहे। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करते हैं ताकि सर्प का भय न हो, वे हमारी और परिवार की रक्षा करें।
अष्टनगों की होती है पूजा
नाग पंचमी के त्यौहार को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ जगह नाग पंचमी के दिन अष्टनागों अनंत, वासुकी, पद्य, महापद्य, तक्षक , कुलीर, कर्कट, और शंख नागों की पूजा होती है जिसमें मुख्यतः नागों की देवी वासुकी की बहन मनसा देवी और उनके पुत्र आस्तिक मुनि की भी पूजा करते हैं।
व्रत से पूर्व ध्यान रहे
नाग पंचमी के दिन व्रत रखते हैं तो नाग पंचमी के 1 दिन पूर्व चतुर्थी को केवल एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को अन्य ग्रहण किया जाता है।
पूजन विधि
जैसे हम सभी देवी देवताओं की पूजा करने से पूर्व साफ सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं इसी प्रकार नाग पूजा में भी साफ सफाई का विशेष महत्व है।
पूजा के स्थान पर लकड़ी का एक पाटिया, चौकी लगाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछा दें। कपड़े पर नाग का चित्र मिट्टी की मूर्ति चांदी के नाग को विराजमान करें।
नाग के चित्र मूर्ति पर गंगाजल छिड़क कर स्नान करवाते हुए नाग देवता का आवाहन करें। तत्पश्चात हल्दी, रोली, चावल और फूल नाग देवता को अर्पित करें। कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर नागमूर्ति को चढ़ाए।पूजन अर्चन के उपरांत नाग देवता की आरती उतारी जाती है ।
इस दिन दूध, चना और (धान का ) लावा आदि मिलाकर भगवान भोलेनाथ को अर्पित करते हुए नाग देवता को भी अर्पित करने की परंपरा है कुछ जगह लपसी और पूड़ी का भोग लगाया जाता है।
पूजन विधि लेख इंटरनेट के जरिए उद्धृत है अपने फूल और घर में होने वाले पूजन विधि के बारे में अपने अपने क्षेत्र की परंपराओं के अनुसार करें।
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