ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। सरयू (घाघरा) का जलस्तर जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है वैसे नदी बांध की तरफ रुख करती जा रही है। बांध और नदी के बीच खाली पड़ी कृषि योग्य भूमि में कटान लगी हुई है और कृषि योग्य भूमि लगातार सरयू निकलती जा रही है। ऐसे में परवल, भिंडी, करेला और मक्का की फसल किसानों को आनन फानन काटना पड़ रहा है ग्राम बांसगांव, रायपुर मांझा और पारा, बेहटा तथा नकहरा के सामने नदी और बांध के बीच सैकड़ों किसानों के खेत हैं। जिनमें वह खेती करते चले आ रहे हैं मौजूदा समय में खेतों में अधिकांश सब्जी की फसल लगी हुई है। जिसे घाघरा की कटान में जाता देख अपनी फसल को काट रहे हैं। वहीं उनका खेत सीधे नदी की जद में आ रहा है। नीचे से कटान करती हुई सरयू (घाघरा) नदी तेजी से बांध की तरफ बढ़ रहा है। जिससे बांध के आसपास खासकर रायपुर माझा गांव पर खतरा मंडराने लगा है। अधिकांश ग्रामीण बांध पर अपना आशियाना बना चुके हैं। मगर अब तक प्रशासन उन गांव के लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने की कोई कवायद नहीं कर रहा है। दर्जनों गावों के ग्रामीणों को प्रतिवर्ष घाघरा नदी की बाढ़ का विनाशलीला झेलनी पड़ती है। हालांकि सहायक अभियंता अमरेश सिंह का कहना है कि बांध से नदी अभी दूर है बांध को मजबूत किया जा चुका है किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। उधर उपजिलाधिकारी विशाल कुमार कहते हैं कि बांध के आस पास वाले गांव में राजस्व विभाग की टीमों को लगाया गया है और लगातार निगरानी कराई जा रही है। अभी बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं है।
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