ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज, गोंडा। जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में आतंकियों से लोहा लेते समय शहीद हुए जिले के वीर सपूत अजय प्रताप सिंह का पार्थिव शरीर रविवार की भोर में उनके पैतृक गांव छिटुआपुर पहुंचा। श्रीनगर सीआरपीएफ के जवान बख्तरबंद वाहन से उनका शव लेकर गांव पहुंचे तो अमर शहीद के दर्शन को जन सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में करनैलगंज क्षेत्र के आसपास के लोग शहीद अजय प्रताप के घर पहुंचे और उनके अदम्य साहस की सराहना करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
करनैलगंज कोतवाली क्षेत्र के छिटुआपुर गांव के रहने वाले पूर्व विधायक स्व भगेलू सिंह के पौत्र अजय प्रताप सिंह सीआरपीएफ में तैनात थे। शनिवार की भोर में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में उन्हे गोली लग गयी थी। उन्हें इलाज के लिए सेना के अस्पताल से जाया गया था जहां अत्याधिक रक्तस्राव के चलते उनका निधन हो गया था। इसकी जानकारी मिलने पर जम्मू के बालटाल में तैनात शहीद के बड़े भाई अखिलेश प्रताप सिंह व पहलगाम में तैनात अखिलेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ अमित जम्मू पहुंचे थे। रविवार की सुबह दोनों भाई सेना के वाहन से शहीद अजय प्रताप का शव लेकर गांव पहुंचे तो पूरे गांव में कोहराम मच गया। शहीद के अंतिम दर्शन को हजारों लोग मौके पर पहुंचे और उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी। शहीद का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव पर किया जायेगा।
कर्नलगंज के पूर्व विधायक स्वर्गीय भगेलू सिंह के पौत्र अजय प्रताप सिंह जम्मू के श्रीनगर में सीआरपीएफ पोस्ट पर तैनात थे। देश की सुरक्षा के लिए आतंकियों से लोहा लेते गोंडा का लाल वहां पर शहीद हो गया। रविवार को जब अजय प्रताप सिंह का शव सेना के वाहन से पैतृक गांव पहुंचा तो हजारों की संख्या में जुटे जनसैलाब की आंखें नम हो गई। शहीद के पैतृक गांव पर राजकीय सम्मान और भारत माता के जयघोष के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सीआरपीएफ के जवान, जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। विधायक बावन सिंह ने कहा कि अजय सिर्फ गोंडा के नहीं बल्कि देश के लाल थे। उन्होंने देश की सेवा करते करते अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके साहस और शौर्य को मैं नमन करता हूं।
अजय ने शुक्रवार को मां से किया आखिरी बार बात
अजय ने शुक्रवार को आखिरी बार अपनी मां से बात
किया था। और कहा था मां तुमसे मिलने के लिए बहुत मन करता है। छुट्टी मिलते ही आता हूं। मां ने कहा कि बेटा काम पूरा करके ही आना। अजय की 48 घंटे पहले मां से हुई बात को लेकर अब उनकी मां धर्म दुलारी दहाड़ मारकर कभी रोती है। तो कभी बदहवास हो जाती है।
पत्नी को मायके में मिली मनहूस खबर, तो हो गई बदहवास
अजय प्रताप सिंह की पत्नी प्रीति सिंह अपने मायके सुल्तानपुर गई थी। उनके मोबाइल पर फोन आया कि अजय आतंकियों से लोहा लेते घायल हो गए हैं। तो उन्हें किसी अनहोनी की शंका को लेकर आंसू छलकने लगे। कुछ देर बाद अजय के शहीद होने की मनहूस खबर आई। तो पत्नी दहाड़ मार के रोने लगी। उसके बाद गिरकर बेहोश हो गई। रविवार को घर में अमर शहीद का शव जब उनके पैतृक गांव पहुंचा। तो पत्नी शव से लिपट गई। दो मासूम बेटियां भी भीड़ और लोगों को देख रही थी। अजय प्रताप सिंह तीन सगे भाई हैं। तीनों सेना में तैनात हैं। बड़े भाई अखिलेश प्रताप सिंह जम्मू कश्मीर में सेना में तैनात हैं। वही दूसरे नंबर पर अजय प्रताप सिंह सीआरपीएफ पोस्ट श्रीनगर में तैनात थे। सबसे छोटा भाई अखिलेंद्र प्रताप सिंह आर्मी में है। जो वर्तमान समय में अमरनाथ यात्रा में तैनात हैं।
दो बेटियों के सर से उठा बाप का साया
जम्मू के श्रीनगर में आरपीएफ पोस्ट पर तैनात अजय प्रताप सिंह देश की सुरक्षा के लिए आतंकियों से लोहा लेते शहीद हो गए। अजय के एक 3 साल और एक 8 माह की दो बेटियां हैं। इन मासूम बच्चियों के सर से पिता का साया उठ गया है। लेकिन अभी बच्चियों को नहीं मालूम है कि उनके पिता देश की सेवा करते इस दुनिया से हमेशा के लिए चले गए।
परिजनों के करुण क्रंदन से दहल उठा गांव
शहीद अजय प्रताप का पार्थिव शरीर सुबह गांव पहुंचा पूरे गांव में कोहराम मच गया। शहीद के परिजनों के करुण क्रंदन से गांव दहल उठा। पत्नी प्रीति शहीद के पार्थिव शरीर से लिपट गयी। दोनों बहनें नीलम व अनुपम भी भाई के शव को देखकर बेसुध हो गयीं। वहीं शहीद की बुजुर्ग मां धर्म दुलारी की आंख से बह रहे आंसुओं में बेटे को खोने की पीड़ा साफ झलक रही थी।
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