वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़: कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 143वीं जयंती पर जीआईसी स्थित उनकी मूर्ति पर जनपद के जिलाधिकारी श्री प्रकाश चंद श्रीवास्तव ने माल्यार्पण किया। जीआईसी में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में जिलाधिकारी प्रतापगढ़ ने कहा कि कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी कथा साहित्य के लेखन में अपूर्ण अवदान दिया है। खुशी है कि उन्होंने अपने लेखन का आरंभ प्रतापगढ़ में शिक्षक रहते हुए किया। जीआईसी में उनके नाम पर किसी कक्ष या सभागार का नाम होना चाहिए। उन्होंने प्रेमचंद की मूर्ति पर छतरी निर्माण का आश्वासन दिया और कहा कि उनके साहित्य को अक्षूण रखना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व बाल न्यायाधीश एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ दयाराम मौर्य 'रत्न' ने कहां की मुंशी प्रेमचंद लिजेंडरी कथाकार थे। उनकी कृतियों का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। अपने लेखन में उन्होंने प्रतापगढ़ के जनजीवन का सचित्र शब्दांकन किया है।एलायंस क्लब इंटरनेशनल के अंतराष्ट्रीय निदेशक वरिष्ठ समाजसेवी रोशनलाल उमरवैश्य ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद प्रतापगढ़ में रहे इससे प्रतापगढ़ का गौरव बढ़ रहा है। उनकी मूर्ति के पुनरुद्धार तथा छतरी के निर्माण में एलायंस क्लब की ओर से पूरा सहयोग दूंगा। अन्य जो भी दायित्व जिलाधिकारी महोदय देंगे उनको पूरा करूंगा। संगोष्ठी का संचालन शिक्षक डॉ मोहम्मद अनीश नाजिश ने किया।इस अवसर पर विचार व्यक्त करने वालों में जिला विद्यालय निरीक्षक सरदार सिंह, प्रधानाचार्य जीआईसी राजकुमार सिंह, विंध्याचल सिंह, राजीव कुमार आर्य, आनंद मोहन ओझा, अशोक कुमार मौर्य, कथाकार प्रेम कुमार त्रिपाठी समेत शिक्षक एवं अधिकारी प्रमुख रहे।
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