वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़(अवध)!अखिल भारतीय साहित्य परिषद, काशी प्रान्त जनपद प्रतापगढ़ के तत्वावधान में गुरु पूर्णिमा पर्व पर क्षेत्रीय ग्राम्य विकास प्रशिक्षण संस्थान,आडीटोरियम में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डा०विनोद त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष - विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं वीणावादिनी माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ! कार्यक्रम की अध्यक्षता दीनानाथ द्विवेदी "रंग" जी एवं संचालन सुरेश नारायण द्विवेदी "ब्योम" ने किया! सभी साहित्यकार, गुरुजन एवं कवियों का तिलक लगाकर एवं माल्यार्पण करके संयोजक जयराम पाण्डेय"राही" ने स्वागत एवं अभिनन्दन किया ।मुख्य अतिथि डा०विनोद त्रिपाठी ने कहा कि गुरु और ईश्वर से कुछ मांगना नहीं पड़ता, वे जो उचित हो उसे स्वत: देते हैं! गुरु-हरि कृपा की महिमा का गान वैदिक काल से लेकर मध्य काल में सूर, जायसी, कबीर एवं संत तुलसीदास तथा जनपद के प्रताप धर्म सम्राट स्वामी करपात्री, जगत गुरु कृपालु जी और वर्तमान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरा नन्द जी महाराज जनपद के गौरव शामिल हैं!
"अवध में फिर पधारो, हे माँ वीणा वादिनी" सरस्वती वन्दना कवियित्री कुमकुम जी ने प्रस्तुत किया!तत्पश्चात कवियों में प्रमुख रुप से प्रेम कुमार त्रिपाठी"प्रेम", राजेन्द्र पाण्डेय "गडबड" ने वात्सल्य से अश्रुपूरित करते हुए " माई की महिमा" का बखान गाया!कवियों ने विविध विषयों पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की! अनूप अनुपम ने रिश्तों की डोर को शब्दों में खुब पिरोया! विशिष्ट अतिथि शिक्षा विद् एवं साहित्यकार डा० दया राम मौर्य ने गुरु वंदना और "खेत खलिहान" पैतृक गांव का लगाव एंव वर्षा ऋतु का गीत सुनाया। डा०अनिल त्रिपाठी ने "अब पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा! हम रहे न रहे ये तिरंगा रहेगा!" विशेष अतिथि हरिनाथ शुक्ल "हरि"अवधी बानी में जवानों और किसानों के संदेशों पर रचना पढ़ी ! कवि अरुण रत्नाकर,पत्रकार अनूप त्रिपाठी, अमर नाथ बेजोड़, उदय राज मिश्र, अभिमन्यु चतुर्वेदी सहित पन्द्रह विभूतियों को श्रेष्ठ साहित्य के क्षेत्र में सारस्वत सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया! मनोज यादव, हर्ष और अमरनाथ ने ओज को तरजीह दी! हिमांशु जोशी डेरवा ने आभार ज्ञापन ने किया।
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