पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
गोंडा: पहली बारिश नहीं झेल पाया विद्यालय की निर्माणाधीन भवन की दिवाले। विकास छपिया के कई प्राथमिक विद्यालय के भवन का निर्माण हो रहा है । जहां जर्जर भवनों को शासन द्वारा ध्वस्त कराके नए भवन का निर्माण कराया जा है लगभग सभी जगह मानक विहीन कार्य हो रहे।शिकायत भी हुई लेकिन सब जगह जांच के नाम पर लीपा पोती की गई। इसका जीता जागता उदाहरण तेजपुर में बन रहे मॉडल प्राइमरी स्कूल परिसर में बन रहे भवन के दीवारों में हल्की बारिश से दरार पड़ गई है।करीब 10 लाख से अधिक की लागत से बनाई जा रही है। भवन बनकर अभी तैयार भी नहीं हुआ है कि दीवारों में दरार पड़ने लगी है। स्कूल की दीवारों में अभी से बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने लगी है। इन दरारों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि निर्माण कार्य मानक विहीन के साथ घोर अनियमितता बरती गई है। आश्चर्य इस बात का है कि जिम्मेदार अफसर अब भी अंजान बने हुए हैं। गांव के लोगों का कहना है कि यहीं पर सैकड़ों विद्यार्थी बैठकर पढ़ाई करेंगे, ऐसे निर्माण में गड़बड़ी चिंता का विषय है।भवन हैंडओवर होने से पहले ही दम तोड़ने लगी लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब धीरे धीरे स्कूल भवन निर्माण कार्य में किए गए अनियमितता का पोल खुलने लगा है। जगह-जगह दरारें दिखाई पड़ने लगी है। ऐसे में बच्चे कैसे पढ़ेंगे और कैसे बढेंगे, यह बड़ा सवाल है, भविष्य में स्कूली बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा खर्च करती है, और तमाम तरह की योजनाएं चलाकर उन्हें इस काबिल बनाती है, जिससे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके। लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिये किये जा सके प्रयास उन तक पहुंचने से पहले ही कमीशनखोरी और लापरवाही के चलते पहले ही दम तोड़ रही हैं।भवन निर्माण में प्रयोग की गई घटिया गुणवत्ता के चलते इस भवन में दरारें पड़ गई है। जिससे ग्रामीणों में काफ़ी आक्रोश व्याप्त है
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