उमेश तिवारी
काठमांडू / नेपाल :नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ की मुश्किले एक बार फिर बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पीएम प्रचंड के खिलाफ रिट याचिका दायर करने के लिए आदेश दिया।
कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष और पीएम प्रचंड के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने माओवादी सैनिकों के रूप में बच्चों का उपयोग किया है। एक पूर्व बाल सैनिक लेनिन बिस्टा ने याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने दावा किया था कि राजशाही के खिलाफ माओवादियों के युद्ध में बाल सैनिकों का इस्तेमाल किया गया था। इससे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होता है।
पहले रद्द हुई थी याचिका
लेनिन ने याचिका में प्रचंड के साथ-साथ पूर्व पीएम डॉ बाबूराम भट्टराई के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। प्रचंड तत्कालीन विद्रोही माओवादी पार्टी के प्रमुख थे। भट्टराई दूसरे नंबर के कमांडर थे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डॉ. आनंद मोहन भट्टाराई की सिंगल बेंच ने रिट दर्ज करने का आदेश जारी किया है। बिस्टा की पिटिशन सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक बार रद्द कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने दोबारा रद्द करने के खिलाफ याचिका लगाई थी।
4008 सैनिक हुए थे अयोग्य
नेपाल में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने सीपीएन-एम की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 4008 सैनिकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। तर्क देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने बताया था कि वह नाबालिग थे। 2007 में एक सत्यापन खत्म होने के बाद सामने आया कि 2900 से अधिक गुरिल्ला नाबालिग थे।
अयोग्य हुए बाल सैनिक तीन साल के लिए कैंट में रुके थे। एक दशक के माओवादी विद्रोह में 16000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। शांति समझौते के माध्यम से 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह समाप्त हुआ था।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ