पं बागीश तिवारी
गोंडा:मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर कटरा बाजार पुलिस में कर्नलगंज में तैनात कोतवाल दरोगा समेत सात लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। वही पुलिस अधीक्षक ने मामले को लेकर जानकारी देते हुए कहा कि Case found false. It has been expunged.v,
क्या है पूरा मामला
कर्नलगंज कोतवाली अंतर्गत भभुआ पुलिस चौकी क्षेत्र के कैथोली गांव निवासी जयप्रकाश पुत्र मुन्ना लाल ने मानव अधिकार आयोग लखनऊ में गुहार लगाते हुए कि 24 जनवरी 2023 को दिए गए शिकायती पत्र में कहा कि मैं वर्तमान में माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ में एक अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस कर रहा हूं।
पीड़ित के पिता का एक मकान गाँव में वर्ष 2016 से निर्माणाधीन है। निर्माणाधीन मकान का एक छोटा हिस्सा मेरे पडोसी विवादित बता रहे है, जबकि पूरा मकान पीड़ित के पिता का निजी है।
तथाकथित विवादित वाले हिस्से में पीड़ित के एक अन्य पड़ोसी दुगपाल ने सिविल कोर्ट में वाद संस्थित कर दिया था और मामले में स्थगन आदेश भी प्राप्त हो गया था, जिसकी वजह से वर्ष 2016 से ही मकान अर्द्धनिर्मित बना हुआ पड़ा है।
इधर काफी दिनों से विपक्षी द्वारा पैरवी न होने की वजह से वर्तमान मामले में कोई स्थगन आदेश भी प्रभावी नहीं रह गया था, वही दूसरी तरफ अधिवक्ता ने उपजिलाधिकारी करनैलगंज के समक्ष अर्द्धनिर्मित मकान में निर्माण कराने व छत डलवाने के लिए एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
जिसमें उपजिलाधिकारी महोदय ने S.H.O. को आदेशित किया कि विवादित जमीन को छोड़कर गाटा संख्या 359 की जमीन में हो रहे निर्माण में कोई बाधा, व्यवधान या हस्तक्षेप ना उत्पन्न किया जाए।
एक दिन मैं दीवानी न्यायालय गोण्डा में सम्बन्धित सिविल जज की कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपनी पीड़ा बताई तो जज साहब ने खुली अदालत में कहा कि मैने आपके मामले से सम्बन्धित पेपर पैरोकार के माध्यम से थाने को भेजवा दिया है।अब आप के निर्माण में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा ।
वर्तमान में सिविल कोर्ट से कोई स्थगन आदेश न होने के बावजूद भी चूंकि उपजिलाधिकारी का विवादित जमीन को छोड़कर निर्माण कराने का आदेश दिया था, इसलिए मैंने विवादित जमीन वाले हिस्से को छोड़कर शटरिंग कराना शुरू कर दिया।
इस दौरान पुलिस काम रुकवाने के बहाने मुझसे 50,000/- रूपये (पचास हजार रुपये) की मांग करती रही। और भभुआ चौकी प्रभारी उमेश कुमार सिंह ने कहा कि 50.000/- रुपये दो मामला कोतवाल साहब की जानकारी में है। इसलिए उन्हें भी मैनेज करना पड़ेगा और कहा कि अगर काम कराना है, तो 50,000/- रुपये लाकर दो तभी काम शुरू करो नहीं तो हाथ पैर तोड़कर अन्दर कर दूंगा।
लेकिन पीड़ित ने इस विश्वास में था कि कुछ गलत नहीं कर रहा हूँ। मैंने विवादित हिस्से को भी छोड़ दिया है। SDM साहब का आदेश भी यही है तो पैसा किस बात के लिए दूं।और इसी विश्वास के सहारे पीड़ित अपने निर्विवाद स्थल पर दिनांक 28 अक्तूबर 2022 को शटरिंग लगाना शुरू कर दिया।
इसी दौरान दिनाक 01 अक्तूबर 2022 के शाम कर्नलगंज थाने के कोतवाल सुधीर कुमार सिंह, सब-इंस्पेक्टर अंकित सिंह, सब-इंस्पेक्टर अमर सिंह, सब-इस्पेक्टर वेद प्रकाश शुक्ला, भभुआ चौकी प्रभारी उमेश कुमार सिंह, दीवान शिव प्रकाश पाठक, कांस्टेबल संदीप सिंह इत्यादि काम रुकवाने के बहाने मेरे घर आ गए और मुझसे पूछे कि साले काम क्यो शुरू कराया, मैंने कहा कि SDM साहब और जज साहब का आदेश है, कि विवादित जमीन को छोड़कर निर्माण करा लो, तो कोतवाल सुधीर सिंह ने अपशब्द प्रयोग करते हुए कहा कि***** जज कह दिया, पता नहीं **** कैसे-कैसे **** जज हो जाते है।इतना कहते ही मुझे मेरे भाई मेरे पिताजी को मारने और गाली देने लगे ।
पुलिस के ये लोग मेरी मड़ई, छप्पर में घुस गये जिसमें मेरी माँ और बहने थी, उनको मारने और गाली देने लगे और मड़ई ,छप्पर में एक बक्से में छत डलवाने के लिए रखा हुआ एक लाख सत्तर हजार रूपया, 9 अदद सोने-चाँदी की माँ-बहनों के जेवर 20-20 लीटर के दो डिब्बे पिपरमिन्ट आयल, मजदूर और कारीगरों के लिए रखा बिस्कुट, नमकीन और मिठाई का पैकेट उठा लिया।
जब पुलिस के लोग लूट और डकैती करने लगे तो पीड़ित और पीड़ित का भाई सूरज मेरे पिता मेरी माता और बहनों ने पैसे और जेवर को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया तो पुलिस के लोगों ने और तेज मारना शुरू किया।
थोड़ी देर बाद पुलिस के लोगों ने जनरेटर और बिजली के तार काट दिये, घना अंधियारा हो गया तब मेरी एक बहन ने कहा कि लाओ मडई में आग लगा दो और उजाला करो और देखो कि पैसा और जेवर कौन पुलिस वाला रखा है। ये पुलिस नहीं डकैत है ये काम रूकवाने नही ये डकैती करने आये है।
संयोग से इसी समय हाईकोर्ट से सीनियर अधिवक्ता प्रदीप कुमार मेरे घर अपनी स्कार्पियों से आये हुए थे एवं केस की विधिक के संदर्भ में पुलिस वालों को समझाने गये जिसके कारण पुलिस वालों ने उनके खिलाफ भी गम्भीर केस लिखकर उन्हें भी मेरे साथ मौके से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया और उनकी गाड़ी को भी क्षतिग्रस्त कर दिया ।
पुलिस ने डकैती के डर से भयभीत होकर अपने ऊपर हमला दिखाकर गम्भीर धाराओं में मुकदमा लिखकर मौके से ही उठाकर जेल भेज दिया,पीड़ित के भाई सूरज का पैर और माता-पिता का हाथ पुलिस ने लूट के दौरान तोड़ दिया है।भाई मेरे साथ जेल में था फ्रैक्चर वाले पैर में प्लास्टर बंधा हुआ है, जिसका मेडिकल भी कराया गया है। पीड़ित के माता-पिता पुलिस के भय से घर छोड़कर कहीं चले गये हैं।
आरोप है कि पीड़ित ने अपने रिश्तेदारों जो जेल में मिलने आये उनके माध्यम से पुलिस के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र भेजा था, लेकिन अभी तक दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी है।
पीड़ित ने आयोग से याचना में कहा है कि वह जेल में था पीड़ित के साथ भाई भी जेल में था एक बहन जेल में थी। माता-पिता एवं बहन पुलिस के डर से घर छोड़कर कहीं चले गये हैं, इसलिए सूचना पहुँचाने में विलम्ब हुआ है। दौरान जेल में पीड़ित ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु प्रयास किया परन्तु पुलिस स्वयं पक्षकार होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं की।
मानवाधिकार आयोग ने पीड़ित के याचना को गंभीरता से लेते हुए दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ लूट डकैती और मारकर गंभीर रूप से घायल करने के मामले में गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने एवं सख्त से सख्त कार्यवाही करने के लिए आदेश पारित किया था। जिसमें आरोपी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध 395 323 504 504 506 427 452 के तहत मुकदमा दर्ज हुवा है।
बोले प्रभारी निरीक्षक
मामले को लेकर प्रभारी निरीक्षक कटरा बाजार मनोज कुमार राय से बात की गई तो उन्होंने पुष्टी करते हुए बताया कि पुलिस के ऊपर ही हमला किया गया था। लेकिन आयोग के निर्देश पर पुलिस के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
बोले पुलिस अधीक्षक
पुलिस कर्मियों के विरुद्ध दर्ज एफ आई आर के संबंध में पुलिस अधीक्षक गोंडा आकाश तोमर ने बताया कि Case found false. It has been expunged.v, दर्ज मामला जांच में झूठा पाया गया और स्पंज किया जा रहा है।
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