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धौरहरा:विश्व पर्यावरण दिवस पर विचार गोष्ठी के दौरान बृहद स्तर पर बृक्षारोपण की बनी योजना



थानाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी ने वृक्षारोपण का बताया महत्व

कमलेश

धौरहरा-खीरी:उत्तर खीरी वन प्रभाग धौरहरा रेंज में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उच्च प्राथमिक विद्यालय लालजी पुरवा में वनक्षेत्राधिकारी की अगुवाई में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया


जिसमें लोगों को क्षेत्र में भारी संख्या में छायादार व फलदार बृक्षों को लगाने की शपथ के साथ पर्यावरण बचाने के सम्बंध में जानकारी दी गई। 



इस दौरान वन क्षेत्राधिकारी एनके चतुर्वेदी व विधायक प्रतिनिधि ने स्कूल परिसर में आम का पौधा रोपित करने के बाद बताया कि हमारे देश में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में भी वनों का विशेष महत्व है। 



वन ही प्रकृति की महान शोभा के भंडार हैं। वनों के द्वारा प्रकृति का जो रूप खिलता है, वह मनुष्य को प्रेरित करता है। दूसरी बात यह है कि वन ही मनुष्य पशु-पक्षी, जीव जन्तुओं आदि के आधार हैं। वन के द्वारा ही सबके स्वास्थ्य की रक्षा होती है। 



वन इस प्रकार से हमारे जीवन की प्रमुख आवश्यकता है। अगर वन न रहें तो हम नहीं रहेंगे और यदि वन रहेंगे तो हम रहेंगे। कहने का तात्पर्य यह है कि वन से हमारा अभिन्न सम्बन्ध है, जो निरन्तर है और सबसे बड़ा है। 



इस प्रकार से हमें वनों की आवश्यकता सर्वोपरि होने के कारण हमें इसकी रक्षा की भी आवश्यकता सबसे बढ़कर है। इस दौरान वन दरोगा अम्बुज मिश्रा व वन रक्षक उत्तम पाण्डेय ने बताया की वृक्षारोपण की आवश्यकता हमारे देश में आदिकाल से ही रही है। 



बड़े बड़े ऋषियों-मुनियों के आश्रम के वृक्ष वन वृक्षारोपण के द्वारा ही तैयार किए गए हैं- महाकवि कालिदास ने ‘अभिज्ञान-शाकुन्तलम्’ के अन्तर्गत महर्षि कण्व के शिष्यों के द्वारा वृक्षारोपण किए जाने का उल्लेख किया है। 



इस प्रकार से हम देखते हैं कि वृक्षारोपण की आवश्यकता प्राचीन काल से ही समझी जाती रही है। आज भी इसकी आवश्यकता ज्यों की त्यों बनी हुई है।



थानाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी ने वृक्षारोपण का बताया महत्व


विश्व पर्यावरण के अवसर पर ईसानगर थानाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी ने वृक्षारोपण करते हुए बताया प्रश्न है कि वृक्षारोपण की आवश्यकता आखिर क्यों होती है? इसके उत्तर में हम यह कह सकते हैं कि वृक्षारोपण की आवश्यकता इसीलिए होती है कि वृक्ष सुरक्षित रहें। 



उनके स्थान रिक्त न हो सकें, क्योंकि अगर वृक्ष या वन नहीं रहेंगे, तो हमारा जीवन शून्य होने लगेगा। एक समय ऐसा आएगा कि हम जी भी नहीं पाएँगे। जीवन नष्ट होने का कारण यह हो जाएगा कि वनों के अभाव में प्रकृति का संतलुन बिगड़ जायेगा। 



प्रकृति का संतुलन जब बिगड़ जायेगा, तब सम्पूर्ण वातावरण इतना दूषित और अशुद्ध हो जायेगा कि हम न ठीक से सांस ले सकेंगे और न ठीक से अन्न जल ही ग्रहण कर पाएँगे। 



वातावरण के दूषित और अशुद्ध होने से हमारा मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकास कुछ न हो सकेगा और हम किसी प्रकार जीवन जीने में समर्थ हो सकेंगे। इस प्रकार से वृक्षारोपण की आवश्यकता हमें सम्पूर्ण रूप से प्रभावित करती हुई हमारे जीवन के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होती है। 



वृक्षारोपण की आवश्यकता की पूर्ति होने से हमारे जीवन और प्रकृति का परस्पर क्रम बना रहता है।

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