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बहनों की रिहाई के लिए उज्बेकिस्तानी लड़की पहुंची बिहार



अररिया में पकड़ी गई थीं 3 युवतियां, नेपाल के रास्ते बिना वीजा की थी एंट्री

हाजीपुर डिटेंशन सेंटर में बंद तीन लड़कियों की बड़ी बहन लगा रही गुहार 

उमेश तिवारी 

दो देशों के नियमों के बीच उज्बेकिस्तान की 3 बहनें बिहार के हाजीपुर में फंसी हैं। अपनी बहनों को छुड़ाने के लिए 3000 किमी की दूरी तय कर उज्बेकिस्तान से बड़ी बहन पटना पहुंची। बहनों को अपने साथ ले जाने के लिए वह पिछले 1 साल से दर-दर की ठोकरें खा रही है।



सिस्टम के आगे बेबस बड़ी बहन का कहना है कि आंखों से नींद गायब हो गई है, दिन और रात का पता ही नहीं चलता। मैं काफी परेशान हूं। मेरी मां भी बहनों को लेकर काफी चिंतित है। हर दिन आजादी का इंतजार करके थक गई हूं।


बताते चलें कि उज्बेकिस्तान की 3 बहनों की फेसबुक पर युवक से दोस्ती हुई। इसके बाद उन्हें नेपाल के रास्ते भारत में लाया गया। प्लानिंग जिस्म की मंडी में परोसने की थी, लेकिन 27 अक्टूबर 2021 को अररिया में एसएसबी ने तीनों को पकड़ लिया। मामला अररिया कोर्ट में पहुंचा तो न्यायालय ने तीनों बहनों को निर्दोष बताते हुए उन्हें उज्बेकिस्तान भेजने का निर्देश दिया। लेकिन ये तीनों बहनें पिछले 10 महीनों से बिहार इंस्टिट्यूट ऑफ करेक्शनल एडमिनिस्ट्रेशन में सजा काट रही हैं।



उज्बेकिस्तान से पटना पहुंची बड़ी बहन 

वहीं, दूसरी ओर हिंदुस्तान से तीन हजार किलोमीटर दूर से एक अकेली लड़की अपनी तीन बहनों को वापस अपने मुल्क ले जाने के किए पटना की सड़कों की खाक छान रही है। अपनी तीन बहनों को ढूंढते हुए बड़ी बहन डेढ़ साल से इंडिया में है। लगातार कोशिश करने के बाद भी वह अपनी बहनों को वापस ले जाने में असफल रही। इस दौरान वह दिल्ली के एक एनजीओ की मदद लेकर पटना पहुंची और पत्रकारों को पूरी कहानी बताई। 



डिटेंशन सेंटर में गलत व्यवहार का आरोप

पत्रकारों से बातचीत में बड़ी बहन ने बताया कि मेरी तीनों छोटी बहन निर्दोष हैं। BICA हाजीपुर के लोग मेरी बहनों को अपने परिवार से बातचीत करने की भी अनुमति नहीं देते हैं। 6 जून 2023 को जब मैं वहां पहुंची तो मुझे उनसे नहीं मिलने दिया गया। वहां के ऑफिसर से लड़ाई करने के बाद मुझे उनसे मिलने दिया गया। मैं अपनी बहनों के हाथ पर घाव को देख कर चौंक गई। उसने बताया कि मुझे यहां पर कोई भी मानवीय सुविधा नहीं दी जाती है, जिस कारण मैं आत्महत्या करना चाहती हूं।


मुझे यहां ना तो पहनने के लिए कपड़े दिए जाते है ना ही खाने के लिए खाना। वह बताने से डर रही थी कि डिटेंशन सेंटर में उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता है। क्योंकि वहां के अधिकारी हमारी बातचीत पर नजर रखे हुए मुझे डर है कि भविष्य में मेरी बहनों के साथ कोई दुर्घटना ना हो जाए। बड़ी बहन का आरोप है कि तीनों बहनों की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि उनके साथ वहां कुछ तो गलत हो रहा है।



कॉल आया तो बड़ी बहन को मिली जानकारी

मेरी बहनों को मानव तस्करी में फंसा कर नेपाल के रास्ते इंडिया लाया गया। यहां उनके पास पासपोर्ट नहीं होने की वजह से एस एसबी ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें बस एक बार फोन करने का मौका दिया गया। तब मेरी बहनों ने मुझे फोन कर इस बात की जानकारी दी। अररिया कोर्ट ने मेरी बहनों को 8 अगस्त 2022 को निर्दोष बताते हुए निर्वासन (डी पोर्ट) का आदेश दिया था। इसके बाद इन्हें (BICA) हाजीपुर में रखा गया।



मैं पिछले डेढ़ साल से उन्हें ले जाने की कोशिश कर रही हूं, लेकिन 10 महीने हो गए, अब तक मेरी बहनों को नहीं छोड़ा गया। मैं पिछले डेढ़ साल से उन्हें ले जाने की कोशिश कर रही हूं, लेकिन कभी मुझे अररिया थाना भेजा जाता है, तो कभी हाजीपुर थाना। ना तो मुझे उनसे मिलने दिया जाता है ना ही बात करने दिया जाता है। बड़ी बहन का कहना है कि थक हार कर वो दिल्ली एक एनजीओ की मदद से BICA हाजीपुर गई और अपनी बहनों से मिली। अब कहा जा रहा है कि जब तक बिहार पुलिस लीव इंडिया का नोटिस नहीं निकालती है तब तक तीनों बहनें अपने देश नहीं जा सकती हैं।



बोलने से घबरा रही हैं लड़कियां 

बड़ी बहन के साथ दिल्ली के एनजीओ से आए हेमंत ने पत्रकारों को बताया की सबसे बड़ा सवाल यह है कि BICA हाजीपुर के जो डायरेक्टर नीरज झा हैं, वह इन तीन लड़कियों को इनके परिवार से फोन पर बात क्यों नहीं करने देते है? उन बहनों की बड़ी बहन यहां आई तो उनको भी कई बार मिलने से मना किया गया।


कोर्ट के आदेश के बाद भी रिहा नहीं किया जा रहा है और सरकारी पैसा इन पर खर्च किए जा रहे हैं। यह समझ से परे है। इससे हमें यही डाउट हो रहा है कि वहां कोई ऐसी चीजें हो रही है, जो लड़कियां इनके सामने बोलने से घबरा रही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।



'ट्रैवल डॉक्यूमेंट आने पर बहनों को कर देंगे डी-पोर्ट'

जब पत्रकारों की टीम BICA हाजीपुर पहुंची और यह जानने की कोशिश की कि आखिर तीनों बहनों को अब तक क्यों नहीं छोड़ा गया। इस सवाल पर बीका के डायरेक्टर नीरज कुमार झा ने बताया कि हमारे पास इन्हें छोड़ने के लिए उज्बेकिस्तान एंबेसी से अब तक किसी भी तरह का ट्रैवल डॉक्यूमेंट नहीं मिला है।


वहां की एंबेसी ने बस इतना कहा कि यह लड़कियां हमारे यहां की नागरिक हैं, लेकिन अब तक वहां से इन लड़कियों का ट्रैवल डॉक्यूमेंट नहीं आया है। अभी हाल ही में 1 जून 2023 को उज्बेकिस्तान के ही दो लड़कियों को हमने उनके देश में डी-पोर्ट किया है। क्योंकि उनके एंबेसी ने सभी डॉक्यूमेंट भेजे दिए थे। जैसे ही इनका डॉक्यूमेंट हमें मिलेगा, हम उन्हें भी भेज देंगे।अगर विदेश की कोई भी लड़की बिहार में किसी भी मामले में बिना वीजा की पकड़ी जाती हैं। 



फिर कोर्ट उन्हें निर्दोष साबित करती है, तब उन लड़कियों को जेल में ना रखकर BICA (बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ करेक्शनल एडमिस्ट्रेशन) हाजीपुर में रखा जाता है। जब तक उनके देश की एंबेसी यह साबित नहीं करती है कि यह लड़कियां हमारे यहां की नागरिक हैं और उनका ट्रैवल डॉक्यूमेंट नहीं भेजते तब तक उन्हें यहीं BICA में रखा जाता है। बिहार सरकार द्वारा यह सिर्फ विदेशी लड़कियों के लिए बनाया गया है।

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