उमेश तिवारी
काठमांडू / नेपाल: चीन जिस हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए तिब्बती लोगों की जमीन पर कब्जा कर रहा है वो उसके 13वीं पंचवर्षीय योजना का हिस्सा है। इस डैम के निर्माण में 285 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 45 लाख वर्ग मीटर है।
बांध बनाने के लिए चीन तिब्बत के किसानों की जमीन जबरन हड़प रहा है। चीन पर यह आरोप स्थानीय तिब्बती मीडिया रिपोर्ट में लगाए गए हैं।
खबरों के मुताबिक, तिब्बत के रेबगोंग और किंघाई इलाके में लिंग्या हाइड्रो पावर नाम की परियोजना के तहत बांध बनाने की तैयारी कर रहा है।
क्या है पूरा मामला?
चीन जिस हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए तिब्बती लोगों की जमीन पर कब्जा कर रहा है, वो उसके 13वीं पंचवर्षीय योजना का हिस्सा है। इस डैम के निर्माण में 285 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 45 लाख वर्ग मीटर है। कई लोग अपनी जमीन और घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
क्या किसानों को मिलेगा मुआवजा ?
चीन के अधिकारी इन लोगों को मुआवजा नहीं देने की धमकी दे रहे हैं। यह आदेश गत 23 मई को लंग्या गांव के अधिकारियों द्वारा जारी किया गया था। चीनी अधिकारी ने डैम के लिए तिब्बत के शू-ओंग के, ओंग नी था, माल्पा जाम, माल्पा खारनांग खारसी और मालपा चाउवो समेत सात गांवों के लोगों को दस दिन के अंदर जमीन और घर खाली करने का नोटिस जारी किया है।
अबतक कितने बौद्ध भिक्षुओं ने किया आत्मदाह ?
यह कोई नया विवाद नहीं है। 1951 में तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद तिब्बती लोगों पर दमन और शोषण का दौर जारी है। वर्ष 2008 के विरोध से लेकर अभी तक कुल 150 बौद्ध भिक्षु चीनी दमन के कारण आत्मदाह कर चुके हैं।
चीन-तिब्बत संघर्ष में अभी तक कुल 87,000 लोगों की जान जा चुकी है । तिब्बत की सांस्कृतिक और जातीय पहचान को चीन योजनाबद्ध तरीके से मिटा रहा है।
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