कुलदीप तिवारी
लालगंज प्रतापगढ़। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता, स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने तमिलनाडु में बगैर मुख्यमंत्री के राज्यपाल द्वारा मंत्री की बर्खास्तगी के कदम को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया है। राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि राज्यपाल पर संविधान की रक्षा का उत्तरदायित्व होता है पर यदि राज्यपाल ही संविधान विरोधी इस तरह का आचरण कर रहे हैं तो यह लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए एक बेहद चिन्ताजनक व खतरनाक कदम की शुरूआत है। उन्होने कहा कि संविधान में यह स्पष्ट प्राविधान है कि बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री चुना जाता है। राष्ट्रपति राज्यपाल या प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री मनोनीत किया करते है। प्रमोद तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री की सिफारिश या सलाह के बगैर राज्यपाल को किसी भी मंत्री को बर्खास्त करने का संवैधानिक अधिकार नही है। उन्होने कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा मंत्री वी सेथिंल की बर्खास्तगी को संविधान के प्राविधानों से इतर स्वछंदता कहा है। उन्होनें कहा कि तमिलनाडु में तीन चौथाई बहुमत की सरकार होने के बावजूद राज्यपाल ने गंभीर रूप से बीमार अस्पताल मे भर्ती मंत्री को बर्खास्त कर संविधान के अनुच्छेद व नियमों तथा परम्पराओं का पालन नही किया। उन्होनें कहा कि राज्यपाल के इस कदम से समूचे विपक्ष और कांग्रेस की यह आशंका अब सच बनकर सामने आयी है कि मोदी सरकार के मनोनीत राज्यपाल द्वारा संवैधानिक मूल्यों के हनन का वीभत्स खतरनाक प्रयास शुरू किया गया है। बतौर उदाहरण श्री तिवारी ने बताया कि यूपी में ही सन 1987-88 में तत्कालीन मंत्री सुनील शास्त्री के त्यागपत्र को राज्यपाल ने इसलिए अस्वीकृत कर दिया था कि तत्कालनीन मुख्यमंत्री स्व. वीर बहादुर सिंह द्वारा मंत्री सुनील शास्त्री के त्याग पत्र की सिफारिश नही की गयी थी। प्रमोद तिवारी के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्होने तत्कालीन राज्यपाल मो. उस्मान आरिफ से रात मे मुलाकात कर उन्हें उनके निर्णय पर संविधान की अनदेखी का ध्यान आकृष्ट कराया तब तत्कालीन राज्यपाल उस्मान आरिफ ने कानूनविदो से सलाह मशविरा कर सुनील शास्त्री के त्याग पत्र को मंजूर न करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह से परामर्श कर सुनील शास्त्री को बर्खास्त कर दिया। प्रमोद तिवारी ने कहा कि राष्ट्रपति को तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुच्छेद नियमों व परम्पराओं की अवहेलना करने के इस कदम को देखते हुए राष्ट्रपति से ऐसे राज्यपाल को फौरन वापस बुलाये जाने की मांग की है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने मणिपुर में राहुल गांधी के द्वारा शांति बहाली के प्रयासों के तहत दौरे को केन्द्र के इशारे पर सुरक्षा बलों द्वारा रोके जाने के भी कदम को मोदी सरकार की तानाशाही का दूसरा स्वरूप कहा है। प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार एक तरफ मणिपुर मे शांति बहाली के लिए सर्वदलीय आम सहमति बनाने का राग अलाप रही है तो दूसरी तरफ जब राहुल गांधी विपक्ष के बड़े राष्ट्रीय नेता के रूप मंे वहां लोगों के बीच सदभाव का माहौल बनाने के लिए दौरा करते हैं तो यह भी मोदी सरकार की आंख मे चुभने लगता है। उन्होने मणिपुर हिंसा के न थमने के लिए भाजपा की आंतरिक शांति व्यवस्था को लेकर भी गैरजिम्मेदार रवैये को दोषी ठहराते हुए कहा कि मोदी सरकार का राहुल गांधी को रोके जाने का यह कदम शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होनें कहा कि मोदी सरकार मे मणिपुर मे बहुमत की उपेक्षा करके कांग्रेस को सरकार बनाने का न्यौता नही दिया गया और स्वयं खरीद फरोख्त कर स्वयं भाजपा की अनैतिक सरकार गठन किया गया। प्रमोद तिवारी का यह बयान शुक्रवार को यहां मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से निर्गत किया है।
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