वेदव्यास त्रिपाठी
प्रतापगढ़ महान राष्ट्रभक्त, प्रखर शिक्षाविद्, राष्ट्रवादी नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस भाजपा पदाधिकारियों ने लगभग 2500 बूथों पर मनाया। जिलाध्यक्ष हरिओम मिश्र ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को याद करते हुए बताया कि 6 जुलाई 1901 में कलकत्ता में उनका जन्म हुआ था।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी बैरिस्टर और शिक्षाविद थे। उन्होंने पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया। हालांकि, नेहरू-लियाकत समझौते के विरोध में मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से उन्होंने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की 1980 में यही भारतीय जनता पार्टी बन गई।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जा के खिलाफ थे और उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बताते हुए अनुच्छेद 370 का पुरजोर विरोध किया था। संसद के भीतर और बाहर इसके खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ी। भारतीय जनसंघ का मकसद इसे तत्काल समाप्त करना था। मुखर्जी ने 26 जून 1952 को अपने लोकसभा भाषण में इस प्रावधान के खिलाफ आवाज उठाई।
राज्य का अलग झंडा होने और प्रधानमंत्री के प्रवाधान पर मुखर्जी ने कहा था 'एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे।' मोदी सरकार ने 2019 में इसको समाप्त कर दिया। मुखर्जी 1943 से 1946 तक अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष भी रहे। 1953 में जम्मू और कश्मीर पुलिस की हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई। जिला प्रवक्ता राघवेंद्र शुक्ल ने बताया कि श्यामा प्रसाद जी का यह कहना था कि भारत का यश उसकी राजनीतिक संस्थाओं और सैनिक शक्ति से नहीं बल्कि उसकी आध्यात्मिक महानता,सत्य और आत्म के विचारों दुखी मानवता की सेवा में, अभिव्यक्त सर्वोच्च शक्ति की विराटता में उसके विश्वास पर आधारित है।
उक्त जानकारी जिला सह मीडिया प्रभारी देवेश त्रिपाठी ने दी।
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