ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। शरीर पर भगवा वस्त्र मुंह से जयराम के बोल के साथ शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए लगातार छह माह से चंदा वसूल कर शकील का सबसे बड़ा योगदान सामने आया है।
हाथ में दान पात्र और मुंह से जय राम बोलकर दो रूपए से लेकर जो भी चंदा मिल जाय वह एक जगह एकत्र करके मंदिर के मरम्मत कार्य में विशेष रुचि के साथ गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल बन गया है। करनैलगंज नगर के मोहल्ला सक रौरा मोहल्ले में प्राचीन शिव मंदिर शिवाला जो रामलीला भवन के सामने स्थित है।
मंदिर जीर्ण शीर्ण अवस्था में हो जाने के बाद कुछ श्रद्धालुओं ने मिलकर एक कमेटी का गठन किया और उसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ। कमेटी के लोगों ने तमाम लोगों से संपर्क करके चंदा इकट्ठा किया। मगर सकरौरा मोहल्ले के रहने वाले शकील अहमद का योगदान बिल्कुल अलग रहा।
उसने एक दानपात्र बनवाया और प्रतिदिन मंदिर के दानपात्र को लेकर पूरे बाजार में प्रत्येक दुकान पर जाकर दो रूपए से लेकर जो भी स्वेच्छा से लोग दे दें उसे इकट्ठा करके शाम को मंदिर पहुंचकर हिसाब दे देना उसकी फितरत बन गई। शकील के शरीर पर भगवा कलर का वस्त्र और मुंह में जयराम का शब्द निकलता है और प्रत्येक दुकान से वह चंदा इकट्ठा करके एक जगह एकत्र कर रहा है प्रत्येक दिन का चंदा मंदिर में जमा करके एक कॉपी पर लिखवाता है।
जिससे मंदिर के जीर्णोद्धार में उसकी सबसे बड़ी अहम भूमिका मानी जा रही है। यहां तक कई वर्षों से यह देखा जा रहा है कि करनैलगंज की ऐतिहासिक रामलीला एक माह तक चलती है जिसमें छोटी-बड़ी रामलीला में वह कभी राक्षस के वेश में तो कभी राम की सेना में शामिल होकर रामलीला का एक पात्र भी बनता है।
कजरी तीज के मौके पर प्रतिवर्ष सरयू से जल भरकर शिव मंदिर में जलाभिषेक भी करता है। शकील भले की मुस्लिम धर्म से हो मगर दोनों धर्मों के त्योहारों में बराबर की हिस्सेदारी निभाता है। यहां तक बेहद गरीब होने की दशा में पुलिस वालों की सेवा करके अपनी जीविका चलाता था जिससे खुश होकर करीब 8 वर्ष पहले तत्कालीन कोतवाल ने उसे चौकीदार के रूप में रख लिया और वह चौकीदारी भी करता है।
दिन में मंदिर की सेवा रात में चौकीदारी समय मिलने पर पुलिस वालों की सेवा उसका काम बन गया है और गंगा जमुनी तहजीब का एक मिसाल भी है।
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