Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

मनकापुर:इफको सहकारी बिक्री केन्द्र प्रशिक्षण सम्पन्न



पं बीके तिवारी 

गोंडा:इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा आज दिनांक 22 जून 2023 दिन गुरुवार को विकासखंड मनकापुर गोंडा के सभागार में इफको सहकारी बिक्री केन्द्र प्रशिक्षण आयोजित किया गया । 



प्रशिक्षण का शुभारंभ मुख्य अतिथि अपर जिला सहकारी अधिकारी मनीष श्रीवास्तव द्वारा किया गया । उन्होंने मृदा नमूना परीक्षण की संस्तुति के आधार पर उर्वरकों के प्रयोग की सलाह दी । कृषकों को समय पर उर्वरकों की उपलब्धता को  महत्वपूर्ण बताया । डॉ. डीके सिंह मुख्य क्षेत्र प्रबंधक इफको ने नैनो यूरिया व नैनो डीएपी के प्रयोग एवं महत्व की जानकारी दी । 



उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया की आधा लीटर की बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर है । जहां किसान भाई एक बोरी यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करते हैं, वहां  नैनो यूरिया की आधा लीटर की बोतल पर्याप्त है । नैनो यूरिया की 4 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल की बुवाई के एक महीने बाद  छिड़काव करें । 



दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिन के अंतराल पर करें । नैनो यूरिया की लगभग सम्पूर्ण मात्रा पौधे उपयोग कर लेते हैं । दानेदार यूरिया की मात्र एक तिहाई मात्रा ही पौधे उपयोग कर पाते हैं । दानेदार यूरिया की काफी मात्रा सूर्य की गर्मी या निक्षालन की क्रिया आदि से नष्ट हो जाती है । दानेदार यूरिया के प्रयोग से मृदा का पीएच मान बढ़ता है । 


धीरे-धीरे मृदा ऊसर हो जाती है, जबकि नैनो यूरिया मृदा एवं पर्यावरण के लिए सुरक्षित है । इसकी आधा लीटर मात्रा की एक बोतल की कीमत मात्र ₹225 है । इसी प्रकार नैनो डीएपी की 4 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर बीज का शोधन किया जाता है । 


रोपाई वाली फसलों में पौध की जड़ों के शोधन के लिए 4 मिलीलीटर नैनो डीएपी को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर जड़ों को आधा घंटे तक घोल में डुबोकर रखें । उपचारित  करने पर फास्फोरस तत्व की पूर्ति फसल में हो जाती है । 


फसल में पर्णीय छिड़काव के लिए नैनो डीएपी की 4 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें । इससे फसल की बढ़वार अच्छी होती है । डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर ने धान पौधशाला प्रबंधन, धान की सीधी बुवाई, सिस्टम आफ राइस इंटेंसिफिकेशन (स्री विधि) एवं परंपरागत रोपाई द्वारा फसल उत्पादन तकनीक, खरीफ फसलों में उर्वरक प्रबंधन, दलहनी एवं तिलहनी फसलों में गंधक  के प्रयोग एवं महत्व की जानकारी दी । 



उन्होंने बताया कि धान की पौधशाला में बुवाई करते समय कार्बनिक खाद, यूरिया एवं डीएपी का प्रयोग किया जाता है । धान फसल में जिंक तत्व की कमी होने पर जिंक सल्फेट एवं लौह तत्व की कमी होने पर आयरन सल्फेट का छिड़काव किया जाता है । लौह तत्व की कमी से धान की पौध सफेद होने लगती है । धान की फसल में जिंक तत्व की कमी होने से खैरा रोग लगता है । 


जिंक तत्व की पूर्ति के लिए जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत की 10 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से खड़ी फसल में प्रयोग करें  अथवा इसके छिड़काव के लिए 2 किलोग्राम जिंक सल्फेट, एक किलोग्राम बुझा हुआ चूना या 6 किलोग्राम यूरिया को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाता है । 


दलहनी फसलों में गंधक के प्रयोग से राइजोबियम जीवाणुओं की क्रियाशीलता बढ़ जाती है तथा तिलहनी फसलों में गंधक के प्रयोग से भरपूर पैदावार मिलती है और तेल की मात्रा बढ़ जाती है । गंधक के प्रयोग से फफूंद जनित रोग नहीं लगते हैं । राम सजीवन पांडेय एडीओ सहकारिता ने नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के प्रयोग को राष्ट्रहित में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया । 


इस अवसर पर तहसील मनकापुर के सचिव बलराम मिश्रा, ओमप्रकाश यादव, राजेंद्र कुमार चौधरी, गिरधारी वर्मा, बृजेश कुमार शर्मा सहित प्रगतिशील कृषकों छीटन प्रसाद यादव, बाबूराम यादव प्रधान प्रतिनिधि छिटईजोत ने प्रतिभाग कर खेती की तकनीकी जानकारी प्राप्त की ।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे