ए आर उस्मानी
गोण्डा। अपनी लड़की व लड़के के साथ चरक हॉस्पिटल लखनऊ में इलाज कराने गए गोण्डा जिले के रहने वाले एक व्यक्ति की 18 वर्षीया लड़की अस्पताल से ही अचानक लापता हो गयी। इसकी सूचना देने पीड़ित पिता जब थाने पर गया तो उसकी मदद और कार्रवाई करने के बजाय पुलिस उल्टे-सीधे सवाल करने लगी। इंतिहा तो यह है कि पुलिस ने पीड़ित की तहरीर तक नहीं ली जिससे उसे वापस गोण्डा आना पड़ा। हालांकि सुबह पीड़ित पिता के साथ परिजन जब थाने पर पहुंचे तब पुलिस ने तहरीर ले लिया लेकिन आगे की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
खुद को आमजन का "मित्र" कहने वाली लखनऊ पुलिस का यह चेहरा मंगलवार को सामने आया। बताया जाता है कि गोण्डा जिले के कोतवाली देहात अंतर्गत चिश्तीपुर खोरहंसा निवासी शाहिद अली पुत्र शेखावत मंगलवार को इलाज कराने के लिए लखनऊ के थाना ठाकुरगंज स्थित चरक हॉस्पिटल गए थे। उनके साथ उनकी 18 वर्षीय बेटी शकीना बानो और बेटा भी था। मंगलवार की सुबह करीब 10:30 बजे शाहिद बच्चों के साथ चरक हॉस्पिटल पहुंच गए। वह दवा लेने अंदर चले गए और लड़की वहीं हॉस्पिटल में ही बैठी रही। थोड़ी देर बाद जब वह वापस आए तो देखा कि उनकी बेटी शकीना वहां नहीं थी। इस पर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई और वह बदहवास सा हो गया। आसपास के लोगों से पूछताछ की लेकिन कुछ पता नहीं चला। वह बाहर निकलकर दुकानों पर भी खोजबीन किया लेकिन कहीं भी पता नहीं चला। इस पर शाहिद ठाकुरगंज थाने पर गया और पूरी घटना की जानकारी देते हुए न्याय की गुहार लगाई लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की नाक के नीचे बैठी ठाकुरगंज पुलिस त्वरित कार्रवाई करने के बजाय पीड़ित पिता से लड़की के चरित्र को लेकर तरह-तरह के उल्टे-सीधे सवाल करने लगी। इतना ही नहीं, हद तो तब हो गई जब पुलिस ने यहां तक कह दिया कि किसी से चक्कर रहा होगा। पीड़ित पिता जवान लड़की के गायब हो जाने के गम में रो रहा था और योगी सरकार की ठाकुरगंज पुलिस उसका मखौल उड़ा रही थी। पीड़ित ने बताया कि उससे एफआईआर दर्ज करने के लिए आधार कार्ड मांगा गया, जिसे वह साथ लेकर नहीं गया था। इस पर पुलिस ने कार्रवाई करने में अस्मर्थता जताई और उसे सुबह आने को कहा। गोण्डा से उसके परिजन सुबह आधार कार्ड लेकर लखनऊ पहुंचे और शाहिद के भतीजे गुलाम सरवर पुत्र अब्दुल वाजिद ने पुलिस को तहरीर दी। ठाकुरगंज पुलिस ने तहरीर तो ले लिया लेकिन मुकदमा दर्ज करने में हीलाहवाली कर रही है। इंसाफ और लड़की के इंतजार में पीड़ित परिजन लखनऊ में ही हैं। हालांकि उन्हें ठाकुरगंज पुलिस के रवैए से इंसाफ की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। पुलिस के रवैए से उसकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
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