पं बागीस तिवारी
गोण्डा:आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा आज दिनांक 1 जून 2023 को कृषि विज्ञान केंद्र पर धान उत्पादन तकनीक विषय पर प्रशिक्षण संपन्न हुआ । प्रशिक्षण का शुभारंभ केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ पीके मिश्रा द्वारा किया गया ।
उन्होंने किसानों को धान की सीधी बुवाई करने का आव्हान किया । उन्होंने बताया कि मल्टी क्रॉप सीडर के द्वारा धान की सीधी बुवाई कम लागत, कम खर्च एवं कम समय में की जा सकती है । धान की सीधी बुवाई में प्रति एकड़ 20 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है । शोधित एवं उपचारित बीज की बुवाई करने पर बीज जनित रोग नहीं लगते हैं ।
बीज शोधन के लिए जैव फफूंदीनाशक ट्राइकोडरमा पाउडर की 5 ग्राम मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज का शोधन कर लेना चाहिए । इससे बीज जनित रोग नहीं लगते हैं । डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने धान पौधशाला प्रबंध तकनीक की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि धान की पौधशाला का चयन उपजाऊ जमीन में ऊंचे स्थान पर करना चाहिए । जहां सिंचाई का सुनिश्चित साधन हो ।
धान की पौधशाला अच्छे खेत में तैयार की जाती है । पौधशाला में सड़ी गोबर की खाद, यूरिया, डीएपी एवं जिंक सल्फेट का प्रयोग किया जाता है । पौधशाला में नियमित सिंचाई की जाती है । धान की पौध का सफेद रंग लौह तत्व की कमी के कारण होता है । इसकी कमी होने पर फेरस सल्फेट का छिड़काव किया जाता है । धान के जिस क्षेत्रफल में रोपाई करनी होती है, उसके बारहवें से पन्द्रहवें क्षेत्रफल में पौधशाला तैयार की जाती है ।
पौधशाला में खरपतवार प्रबंधन के लिए प्रेटिलाक्लोर खरपतवारनाशी रसायन का प्रयोग करते हैं । धान की पौध 3 सप्ताह से 4 सप्ताह पुरानी होने पर रोपाई की जाती है । धान पौध की रोपाई से पूर्व पौधों को जड़ सहित उखाड़ कर पौध के ऊपरी हिस्से को काट देते हैं । जिससे रोपाई के बाद पौधा गिरने पर भूमि में न छुए । ऐसे स्वस्थ 2 पौधों की रोपाई एक स्थान पर करते हैं । इस प्रकार 45 से 50 पूंजे प्रति वर्ग मीटर होना चाहिए ।
पंक्तियों में रोपाई करने पर अच्छा उत्पादन मिलता है । डॉक्टर दिनेश कुमार पांडे ने धान की स्री पद्धति के बारे में जानकारी दी । इस अवसर पर प्रगतिशील कृषकों विजय कुमार यादव दुखी लाल त्रिपाठी विनय कुमार सिंह जुगल किशोर वर्मा शिवकुमार तिवारी श्रीमती पूनम सुनीता यादव आदि ने प्रतिभाग कर धान उत्पादन तकनीक की जानकारी प्राप्त की ।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ