पं बागीस तिवारी
लखनऊ 16 मई 2023। रेल मंत्रालय ने स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना के नाम से एक नई नीति तैयार की है। इसके अंतर्गत दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लगातार स्टेशनों के विकास की परिकल्पना की गई है।
यह स्टेशन की आवश्यकताओं के अनुसार दीर्घकालिक मास्टर प्लान तैयार करने और मास्टर प्लान के तत्वों के कार्यान्वयन पर आधारित है। इस विकास योजना के अन्तर्गत स्टेशनों को शहर के मुख्य स्थान के रूप में विकसित किए जाने की परिकल्पना है। रेल यात्रियों को सुखद यात्रा अनुभव प्रदान करने हेतु हितधारकों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा गया है।
इसी परिप्रेक्ष्य में पूर्वाेत्तर रेलवे लखनऊ मण्डल के गोण्डा-गोरखपुर लूप लाइन पर स्थित बलरामपुर स्टेशन को अमृत भारत योजना के अन्तर्गत लगभग साढ़े दस करोड़ की लागत से नयी सुविधाओं के साथ ही पुरानी सुविधाओं के साथ अपग्रेड किया जायेगा, जिसके लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा चुका है तथा इसी लक्ष्य के साथ चरणबद्ध तरीके से लागू किया जायेगा।
इस कार्य योजना के अन्तर्गत बलरामपुर स्टेशन के मुख्यप्रवेश द्वार के सरकुलेटिंग एरिया के विकास तथा स्थानीय कला एवं संस्कृति को शामिल करते हुए स्टेशन का सौंदर्यीकरण, ’’प्लेटफार्म सरफेस’’ का अपग्रेडेशन, ’स्टेशन फसाड’ तथा स्टेशन परिसर में उन्नत लाईटिंग, कोच गाइडेंस सिस्टम, ट्रेन डिस्पले बोर्ड, डिजिटल घड़ियॉ, यात्री उद्घोषणा प्रणाली, सोलर प्लांट, वाटर कूलर, एयर कंडीशनर तथा विभिन्न यात्री सुविधाओं से संबंधित ग्लोसाइन बोर्ड (साइनएज), एल.ई.डी. स्टेशन नाम पट्टिकाओं तथा स्टेशन पर स्थित यात्री प्रतीक्षालय व शौचालयों का आधुनिकीकरण इत्यादि कार्य सम्पन्न किए जायेगें। उपरोक्त कार्यो को कराने हेतु निविदाएं खोली जा चुकी है।
गोण्डा-गोरखपुर लूप लाइन रेलखण्ड पर स्थित बलरामपुर रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन लगभग 1900 यात्रियों का आवागमन होता है। स्टेशन पर यात्रियों के आवागमन हेतु 10 जोड़ी मेल/एक्सप्रेस ट्रेन तथा 03 जोड़ी सवारी गाड़ियों की सुविधा प्राप्त है। यह स्टेशन यात्री सुविधा ग्रेड एनएसजी-5, ब्राड गेज लाइन का स्टेशन हैं। यहॉ से 18 किलोमीटर पश्चिम में सहेठ-महेठ स्थित है।
गोण्डा, बहराइच जिलो की सीमा पर यह प्रसिद्व बौद्ध तीर्थ स्थान है। प्राचीन काल में यह कोशल देश की दूसरी राजधानी थी। भगवान राम के पुत्र लव ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। श्रावस्ती जिले में बौद्ध व जैन दोनो सम्प्रदायों के तीर्थ स्थान है। यहॉ श्रेष्ठी अनाथपिण्डिक ने असंख्य स्वर्ण मुद्राऐं व्यय करके भगवान बुद्ध के लिए जेतवन बिहार बनवाया था। यहॉ बोैद्ध धर्मशाला, मठ और मंदिर है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ