महाराष्ट्र के मसले पर राज्यसभा मे विपक्ष के उपनेता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ठहराया स्वागत योग्य, कश्मीर मसले पर किया ऐलान-पाक अधिकृत कश्मीर के जर्रे जर्रे पर जल्द लहराएगा भारत का तिरंगा
कुलदीप तिवारी
लालगंज, प्रतापगढ़। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता, सांसद, कानूनविद प्रमोद तिवारी ने महाराष्ट्र में भाजपा गठजोड की एकनाथ शिंदे सरकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वागत योग्य करार दिया है।
उन्होने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए सैद्धांतिक एवं बडी नैतिक जीत कहा है। वहीं सांसद प्रमोद तिवारी ने भाजपा गठजोड की शिंदे सरकार से नैतिकता के आधार पर फौरन त्याग पत्र दिये जाने की भी मांग उठायी है।
राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने एकनाथ शिंदे सरकार के गठन की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए कई अहम सवालों को लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए संवैधानिक शक्तियों को दुरूपयोग करने वाली ताकतों को कडी चेतावनी करार दिया है।
उन्होनें कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से फ्लोर टेस्ट के राज्यपाल के निर्णय को सही नही ठहराया और उद्धव ठाकरे की तत्कालीन सरकार के संवैधानिक व्हिप से इतर शिंदे गुट के व्हिप को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार करने को भी अविधिक कहा उससे यह साफ जाहिर हो गया है कि भाजपा की साजिश से उद्धव ठाकरे सरकार को जबरन गिराना पूरी तरह से संवैधानिक प्रक्रिया के विपरीत उठाया गया कदम था।
राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह भी एक बडी नजीर सामने आयी है कि किसी भी चुनीं हुई सरकार की पार्टी मे छोटे से असंतोष को फ्लोर टेस्ट का आधार नही माना जा सकता।
उन्होने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बीच की भाजपा से अनैतिक गठजोड कर जिस तरह से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एमवीए सरकार को अस्थिर किया गया उसे भी तल्ख टिप्पणी के साथ तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष को स्वतंत्र जांच कर सही फैसला न लेने का पदीय जिम्मेदार ठहराया गया है।
उन्होनें कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के राजनैतिक तत्कालीन परिदृश्य को लेकर राज्यपाल भूमिका पर भी असहमति जताते हुए यह साफ किया कि उस समय राज्यपाल ने कानून के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन नही किया।
मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से यहां जारी बयान में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा विधायकों की अयोग्यता पर उद्धव ठाकरे की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष ने जल्द फैसला लेने के भी कडे निर्देश दिये हैं।
प्रमोद तिवारी ने कहा कि कोर्ट के मंतव्य का नैतिक सम्मान करते हुए महाराष्ट्र की भाजपा से गठबंधन कर बनी एकनाथ शिंदे सरकार को अब बिना विलम्ब किये त्याग पत्र दे देना चाहिए।
वहीं उन्होने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि राज्यपाल को उद्धव ठाकरे सरकार को लेकर मात्र सोलह विधायकों उस पत्र पर संवैधानिक मंथन करना चाहिए था जिसमें विधायकों ने सिर्फ पार्टी में अपने असंतोष का जिक्र किया था।
प्रमोद तिवारी ने कहा कि कोर्ट की टिप्पणियों से यह भी साफ हो गया है कि असंतुष्ट विधायकों ने भी राज्यपाल को लिखे पत्र में कहीं भी एमवीए सरकार को हटाने को लेकर दूर दूर तक कोई जिक्र नही किया था।
इधर मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने बताया कि गुरूवार को राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी कश्मीर की यात्रा के दौरान पाक अधिकृत कश्मीर से सटी भारत की सबसे आखिरी चौकी पर भी पहुंचे।
वहां प्रमोद तिवारी ने भारत का कश्मीर को लेकर दृढ़ संकल्प मजबूती से रखते हुए यह ऐलान किया कि एक दिन कश्मीर के जर्रे जर्रे पर भारत का तिरंगा शान से लहराएगा।
उन्होनें कहा कि इंदिरा गांधी का कश्मीर पर भारत की सम्पूर्ण विजय का सपना देशवासियों की एकजुटता से जल्द साकार होता भी दिखेगा।
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