■ जनपद से लेकर ब्लॉक अधिकारियों तक ने नहीं लिया संज्ञान
■ सरकारी धन का हुआ दुरुपयोग
आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। गांवो में स्वच्छता को लेकर केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन योजना के अंतर्गत गांव गांव में ग्रामीणों को शौचालय की राशि उपलब्ध करवाई गई थी। जिससे खुले में शौच की प्रथा को बढ़ावा न मिले और लोगों के द्वारा शौचालय का उपयोग किया जाए।
जिससे गांव में स्वच्छता मिशन को बढ़ावा मिल सके। जोर शोर से केंद्र व प्रदेश सरकार ने इस योजना में भरपूर धन दिया गया। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने अपने अपने घरों में शौचालय का निर्माण करवाया।
जिसका अधिकांश ग्रामीणों के द्वारा उपयोग भी किया जा रहा है। लेकिन ब्लॉक अधिकारी व गाँव के जिम्मेदारों ने हड़बड़ी में ऐसे शौचालय दिए गए जो वर्तमान तक उपयोग भी नही किया जा सका। उपयोग न होने से खंडहर में तब्दील हो चुके है।
जिससे सरकारी धन का काफी दुरुपयोग भी हुआ जिसपर ब्लॉक से लेकर जनपदीय अधिकारी भी आंखे बंद किये रहे। जबकि गांव गांव शौचालय बनवाकर ओडीएफ का दर्जा दिया गया। लेकिन सारी कोशिशें बेकार रही।
इसी कड़ी में जनपद के मेंहदावल ब्लॉक क्षेत्र में भी अनेकों गांवो में स्वच्छ भारत मिशन की हवा निकल चुकी है। कुछ गांवो में तो शौचालय बने तो केवल दिखावे के लिए। जबकि जमीनी धरातल पर कोई भी प्रयोग नही किया गया।
ऐसा ही मामला है मेंहदावल ब्लॉक के खजुरा कला गांव का। जहाँ पर करीब दर्जन भर से अधिक शौचालय बनाये गए केवल गणना के लिए, लेकिन जमीनी धरातल पर कभी भी उपयोग नही हुआ।
जिसके कारण वर्तमान में शौचालय खंडहर होने की ओर अग्रसर है। ऐसे मेंहदावल, सांथा, बेलहरकला ब्लॉक क्षेत्र के दर्जनो गांवो में बने शौचालय अपने अस्तित्व को खो चुके है।
वर्तमान में पुनः प्रयास करना होगा ब्लॉक व जनपदीय अधिकारी को जिससे स्वच्छता अभियान को बल मिल सके। स्वच्छता अभियान को लेकर अरबो रुपये खर्च किया गया लेकिन वर्तमान में स्थिति नही बदली।
गांव में जागरूक करने के लिए स्वच्छाग्राही भी नियुक्त किये गए लेकिन सरकारी फिसड्डीपन का नतीजा यह रहा कि वर्तमान में अधिकांश गांवो में शौचालय अपने अस्तित्व को खो चुका है।
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