शिक्षाविद प्रो. गिरिजाशंकर शुक्ल के पुत्र हैं लखनऊ विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभागाध्यक्ष
कुलदीप तिवारी
लालगंज, प्रतापगढ़। देश की युवा पीढी को पठन-पाठन के दौरान भारतीय रक्षा नीति के पहलुओं की भी अब मजबूत जानकारी हो सकेगी। रक्षा अध्ययन विभाग में छात्र छात्राओं यह समझ होगी कि पुलवामा हमला कैसे हुआ और उसके बाद हमारी सेना ने बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक करके दुश्मनों को कैसे बर्बाद किया।
इन विषयों के अहम बिंदु को स्नातक और स्नातकोत्तर से जुडे रक्षा अध्ययन यानी सैन्य विज्ञान के पाठयक्रमों में विशेष अध्याय के रूप में शामिल करने की पहल प्रतापगढ़ के प्रो. डॉ. ओमप्रकाश शुक्ल ने की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय में रक्षा अध्ययन विभागाध्यक्ष है।
जिले के लालगंज नगर पंचायत के सांगीपुर वार्ड में सरस्वती विद्या मंदिर मार्ग निवासी प्रोफे. शुक्ल के पिता प्रो. स्व. गिरिजाशंकर शुक्ल भी प्रमुख शिक्षाविद रहे हैं। छोटे भाई ज्ञानप्रकाश शुक्ल लालगंज तहसील बार के अध्यक्ष रह चुकें है। डॉ. ओमप्रकाश ने पुलवामा आंतकी हमले मे शहीद हुए देश के चालीस जवानों की शहादत को लेकर राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय आतंकवाद को लेकर भारतीय सेना की जबाबी कार्रवाई के तहत बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की आवश्यकता एवं उसकी सफलता से मेधावियों को रूबरू कराने के लिए बारह मई को अपने तैयार प्रपोजल को विश्वविद्यालय के समक्ष प्रस्तुत भी कर दिया है।
प्रोफे. शुक्ल के प्रपोजल पर फैकेल्टी बोर्ड तथा एकेडमिक बोर्ड की मुहर लगने के बाद रक्षा अध्ययन के छात्र छात्राओं को राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के बदलते मजबूत आयाम से रूबरू कराया जाएगा। विषय के प्रस्ताव में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना के शौर्य व साहस भरे बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पडोसी दुश्मन देश को माकूल जबाब देने की भारत सरकार की साहसिक रक्षा नीति से युवा परिचित होंगे।
प्रोफेसर शुक्ल के द्वारा तैयार किया गया यह प्रपोजल छात्र छात्राओं के प्रश्न पत्र में भी अहम हिस्सा लिए दिखेगा। शुक्रवार को मेधावियों के लिए रक्षा नीति के लिए विशेष पाठयक्रम प्रोफेसर शुक्ल द्वारा तैयार किये जाने की यहां लोगों को जानकारी हुई तो अधिवक्ताओं व प्रबुद्ध वर्ग में इसकी सराहना देखी गयी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुडे इस अहम प्रस्ताव को हरी झण्डी मिलने के बाद इसकी पहल देश और प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों मे भी हो सकेगी। वहीं डॉ. ओमप्रकाश शुक्ल के इस विश्वविद्यालीय पाठयक्रम प्रस्ताव के मंजूर होने पर प्रतापगढ़ के नाम भी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के क्षेत्र में एक सुनहला अध्याय अंकित हो सकेगा।
संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश, बहुगुणा पीजी कालेज के अवकाश प्राप्त सैन्य विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. राजकुमार पाण्डेय, प्रो. राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, प्रकाशचंद्र मिश्र, डॉ. अनुज नागेन्द्र, प्रो. श्याम बिहारी शुक्ल आदि ने सुरक्षा नीति से मेधावियों को भी रूबरू कराए जाने के प्रोफे. शुक्ल के प्रस्ताव को सराहनीय बताते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा एवं राष्ट्रीय अखण्डता के लिए बड़ा सार्थक कदम कहा है।
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