रजनीश/ ज्ञान प्रकाश
करनैलगंज(गोंडा)। सांसारिक सुख महज कुछ समय के लिए आपको सुख शांति देगा लेकिन भक्ति में रमा तन मन आपको दीर्घकालिक सुख शांति देगा, ये भक्ति की किरण पुंज आपके आस पास आने वाले लोगों को भी सुखद अनुभूति देगी। उक्त विचार वृंदावन से आई कथा वाचक देवी सत्यार्चा ने कही। नगर के गाड़ी बाजार में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। जहाँ कथा के दूसरे दिन कौरव पांडव व कृष्ण के जीवन से मिलने वाली सन्देश का विस्तार से वर्णन किया। साथ ही द्रोपदी, कुंती, कर्ण के जीवन पर भी प्रकाश डाला। कर्ण व दुर्योधन की मित्रता का वर्ण कहते हुए कहा कि सच्चा मित्र हमेशा मित्र के सुख दुख में बराबर शामिल होता है। आधुनिक मित्र की चुटकी भी ली कहा ऐसे मित्र जो पहले गुटखा की डली साफ करके खिलाते हैं, मदिरा को जबरन चखाते हैं लत लगाने के बाद ये मित्रता ही नही पूरा परिवार को बर्बाद कर देते हैं। ऐसे मित्रों से सावधान रहें इन्हें मित्र समझने की भूल न करे। इसके बाद माता सती की कथा कही। कहा कि सती के पिता दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया था और उसमें अपने सभी संबंधियों को बुलाया। बेटी सती के पति भगवान शंकर को नहीं बुलाया। जब सती को यह पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ और भगवान शिव से उस यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी, शिव ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि बिना बुलाए कहीं जाने से इंसान के सम्मान में कमी आती है। माता सती नहीं मानी और राजा दक्ष के यज्ञ में पहुंच गई। वहां पहुंचने पर सती ने अपने पिता सहित सभी को बुरा भला कहा और स्वयं को यज्ञ अग्नि में स्वाहा कर दिया। जब भगवान शिव को ये पता चला तो उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोलकर राजा दक्ष की समस्त नगरी तहस-नहस कर दी। शिव जी सती का शव लेकर घूमते रहे। भगवन विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए। जहां शरीर का टुकड़ा गिरा वहां-वहां शक्तिपीठ बनी। कथा के दौरान प्रतिष्ठित व्यापारी अशोक सिंहानिया, संतोष श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, राजीव गोस्वामी, रोहित सोनी, ध्रुव तिवारी सहितभारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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