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श्रीराम नाम के सुमिरन में मिट जाते हैं जीवन के समस्त कष्ट:गोविन्द शास्त्री



कुलदीप तिवारी 

लालगंज, प्रतापगढ़। नगर के घुइसरनाथ छोटी नहर के समीप हो रहे तीन दिवसीय धार्मिक प्रवचन में शनिवार की शाम श्रद्धालुओ की भारी भीड उमडी दिखी। शिक्षामनीषी पं. रामनरेश मिश्र की स्मृति में आयोजित प्रवचन में कथा व्यास आजमगढ़ से पधारे गोविंद शास्त्री जी महराज ने मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के परमार्थ लोकावतार का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीराम का नाम ही समस्त दुखो का निवारक है। 


गोविंद शास्त्री जी ने कहा कि भगवान श्रीराम एवं परम जगदम्बा मां सीता ने वन गमन को परमार्थ के लिए अपने लोक अवतार के स्वरूप को मर्यादा का कवच प्रदान किया। उन्होने श्रद्धालुओं से कहा कि भगवान का मर्म समझने के लिए केवट जैसी पवित्र श्रद्धा का भाव होना चाहिए। 


वही आगरा से पधारीं मानसमणि रेखा रामायणी ने कहा कि मां सीता ने अपने त्याग तथा तपस्या से नारी जगत को स्त्री की मर्यादा का सर्वोच्च अलंकरण प्रदान किया। रेखा रामायणी जी ने कहा कि भगवान श्रीराम के सुमिरन में ही जगत का वैभव विभूषित हुआ करता है। उन्होनें श्रीराम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम ने अनेकानेक कष्टों से छुटकारा दिलाने के लिए धरती से पाप के अन्त का शंखनाद किया। 


उन्होनें कहा कि चरित्र की पवित्रता ही प्रभु उपासना की निर्मलता है। कार्यक्रम के संयोजक राजकुमार मिश्र ने आयोजन समिति की ओर से गोविन्द शास्त्री जी व रेखा रामायणी जी का मंगलम् सम्मान किया। धार्मिक आयोजन में प्रख्यात् भजन गायक गुडडू राय की भजन मण्डली के द्वारा सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियों से श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे दिखे। कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता पं. श्रीनिवास मिश्र ने किया। 


इसके पूर्व सरस्वती विद्या मंदिर इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य पं. रामअवधेश मिश्र ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया। वहीं आयोजन समिति की ओर से राज्यसभा मे विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी के मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने मानसमराल पं. रामफेर पाण्डेय, वरिष्ठ साहित्यकार विशालमूर्ति मिश्र, भगवताचार्य पं. विनय शुक्ल व समाजसेवी धर्मेन्द्र सिंह को अंगवस्त्रम तथा सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। 


चेयरपर्सन प्रतिनिधि संतोष द्विवेदी ने व्यासपीठ का नगरवासियों की ओर से पूजन अर्चन किया। आयोजन समिति के अनुराग पाण्डेय ने आभार जताया। 


इस मौके पर डा. रमाशंकर शुक्ल, देवीप्रसाद मिश्र, बृजेश द्विवेदी, डा. शिवशरण मिश्र, श्यामजी संवरिया, मक्खन शुक्ल, श्रीनारायण त्रिपाठी आदि रहे।

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