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धौरहरा में फसलों को बर्बाद कर रहे मवेशियों को सरकारी स्कूलों में कैद करने का सिलसिला जारी



कमलेश

धौरहरा खीरी:धौरहरा तहसील क्षेत्र में आवारा पशुओं से तंग आक्रोशित किसानों द्वारा लगातार मवेशियों को पकड़कर सरकारी विद्यालयों में कैद करने का सिलसिला जारी है। वहीं मुख्यमंत्री के शख़्त आदेशों के बाद भी तहसील प्रशासन बेहाल नजर आ रहा है। इसी क्रम में बुधवार को विकास खण्ड रमियाबेहड़ के भरतपुर में स्थित प्राथमिक विद्यालय व सैनीपुरवा के परिसरो मे सुबह किसानो ने आवारा पशुओं को पकड़कर कैद कर दिया जिसके चलते शिक्षा विभाग के साथ साथ अन्य विभागो मे खलबली मच गई।इस मामले में खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा उच्चाधिकारी गणो को अवगत कराया गया है।

तहसील धौरहरा के विकास खण्ड रमियाबेहड़ के आक्रोशित किसानो बुधवार को आवारा जानवरो द्वारा फसलो के नुकसान से परेशान होकर सुबह करीब 8 बजे सविलयन विद्यालय भरतपुर के परिसर मे कैद कर दिया। अभी यह मामला चल ही रहा था कि थोडी ही देर बाद क्षेत्र के किसानो द्वारा ग्राम पंचायत भूडा भूडी के प्राथमिक विद्यालय सैनीपुरवा के परिसर मे आवारा जानवर को पकड़कर बन्द कर दिया  गया। हालांकि इस पूरे घटना क्रम मे  जिम्मेदार विभाग चुप्पी साधे हुए है। 

इस मामले में पूछने पर खण्ड शिक्षा अधिकारी रमियाबेहड़ हृदय शंकर लाल श्रीवास्तव ने बताया कि सूचना मिलने पर उच्चाधिकारियों को अवगत कराने के बाद पुलिस बल के सहयोग से परिसर को खाली कराया गया व हेडमास्टर द्वारा तहरीर देने को कहा है। हमारे पास साक्ष्य के रुप में मौके के वीडियो मौजूद हैं।



बैबहा में पशुओं का नहीं निकला हल,किसान हलकान


ब्लॉक के ही वैबहा गांव में सोमवार को सायं ग्रामीणों ने फसलों को बर्बाद कर रहे बड़ी संख्या में गौवंशियों को पकड़कर प्राथमिक स्कूल में बन्द कर दिया था। जिसको लेकर मंगलवार को तहसील प्रशासन ने किसानों को समझा बुझाकर वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए गांव में ही बन रही पानी की टंकी की बाउंड्री के अंदर मवेशियों को ठहराकर चारा पानी की व्यवस्था करवाने का अस्वासन देकर स्कूल को खाली करवा दिया था। पर देर रात चौकीदार ने बाउंड्री का गेट खोलकर सभी जानवरों को पुनः खेतों में खदेड़ कर किसानों की मेहनत पर पानी फेर हालात जस के तस बना दिये। जिसको लेकर किसानों में आक्रोश व्याप्त है। इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी कोई जिम्मेदार खुलेआम फसलों को बर्बाद कर रहे मवेशियों की व्यवस्था नहीं करवा पा रहे है। जिसके चलते उनको परिवार घर छोड़कर अकेले खेतों में दिन व रातें गुजारनी पड़ रही है। यह इसी तरह रहा तो वह क्या खाएंगे क्या कमाएंगे।

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