Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

बलरामपुर:समलैंगिक विवाह के विरोध में दिया गया ज्ञापन



अखिलेश्वर तिवारी 

जनपद बलरामपुर मे 29 अप्रैल को राष्ट्रपति भारत सरकार नई दिल्ली को संबोधित करते हुए एक अनुरोध पत्र बलरामपुर के जागरूक नागरिकों एवं समाजसेवी महिलाओं द्वारा स्वप्निल यादव उपजिलाधिकारी न्यायिक बलरामपुर को दिया गया। 


अनुरोध पत्र में कहा गया कि भारत विभिन्न धर्मों, जातियों एवं उप जातियों का देश है जिसमें शताब्दियों से केवल जैविक पुरुष व जैविक महिला के मध्य विवाह को मान्यता दी गई विवाह की संस्था न केवल दो  विषम लैंगिकों का मिलन है, बल्कि मानव जाति की उन्नति भी है । बताया गया है कि सभी धर्मों में केवल विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के विवाह का उल्लेख है। विवाह के दो अलग लैंगिको के पवित्र मिलन के रूप में मान्यता देते हुए भारत का समाज विकसित हुआ है। 


भारत में विवाह का एक सभ्यतागत महत्व है और एक महान और समय की कसौटी पर खरी उतरी वैवाहिक संस्था को कमजोर करने की किसी भी प्रयास का समाज द्वारा मुखर विरोध किया जाना चाहिए। भारतीय सांस्कृतिक सभ्यता पर सदियों से निरंतर आघात हो रहे हैं फिर भी अनेक बाधाओं के बाद भी वह बची हुई है। 


अनुरोध पत्र में इस महत्वपूर्ण विषय पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिखाई जा रही आतुरता पर अपनी गहन पीड़ा व्यक्त किया गया है। राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि इस संवेदनशील विषय पर सभी हितबद्ध व्यक्तियों व संस्थाओं से परामर्श करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि समलैंगिक विवाह न्यायपालिका द्वारा वैध घोषित नहीं किया जाए, क्योंकि उक्त विषय पूर्ण रूप से विधायिका के क्षेत्राधिकार में आता है । 


अनुरोध पत्र सौंपते समय झूमा सिंह, सविता शुक्ला, रेशम सिंह, राधा मिश्रा, मधु गुप्ता रिंकी तिवारी, मिथिलेश सिंह, सविता सिंह एवं पूनम गुप्ता उपस्थित रही। साथ में वंशीधर मिश्र, रोहित शुक्ला, मोहित कुमार दुबे, भीम प्रसाद तथा कई अन्य जागरूक नागरिक उपस्थित रहे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

5/vgrid/खबरे